लखनऊ के हजरतगंज में जी.पी.ओ. पार्क पर शहादत दिवस के अवसर पर एक भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित
लखनऊ के हजरतगंज स्थित जी.पी.ओ. पार्क (काकोरी स्तंभ) पर अमर शहीद राजा राव राम बख्श सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर एक भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।यह कार्यक्रम राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच और जनसत्ता दल के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ।उपस्थित पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने 1857 की क्रांति के महानायक राजा राव राम बख्श सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
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3:55 PM, Dec 28, 2025
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जी.पी.ओ. पार्क पर शहादत दिवस के अवसर पर एक भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित सौ0 RExpress भारत
उत्तर प्रदेश। लखनऊ के हजरतगंज स्थित जी.पी.ओ. पार्क (काकोरी स्तंभ) पर अमर शहीद राजा राव राम बख्श सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर एक भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया । यह कार्यक्रम राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) (जिसे जनसत्ता पार्टी ऑफ इंडिया के रूप में भी संदर्भित किया गया है) के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ। उपस्थित पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने 1857 की क्रांति के महानायक राजा राव राम बख्श सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
ऐतिहासिक महत्व
वक्ताओं ने डौंडियाखेड़ा के राजा राव राम बख्श सिंह के बलिदान को याद करते हुए उन्हें माँ चंद्रिका देवी का अनन्य भक्त और भारत माँ का वीर सपूत बताया, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेते हुए देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।कार्यक्रम का उद्देश्य युवा पीढ़ी को 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के योगदान से अवगत कराना और उनके राष्ट्र गौरव को पुनर्स्थापित करना रहा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने कहा कि
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने कहा कि जनपद उन्नाव कलम व क्रांति की धरती रही है क्रांतिकारियों का सिरमौर रहा है प्रताप नारायण मिश्र,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ,भगवती शरण वर्मा,बलदेव प्रसाद राजहंस,डॉ 0 शिव मंगल सिंह सुमन ने अपने लेखनी से जहां क्रांति की अलख जगा। वहीं बड़े गर्व की बात है कि, अवध क्षेत्र में जनपद उन्नाव के डौडिया खेड़ा स्टेट के राजा राव राम बक्श सिंह अँग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए उनके समक्ष झुकने के बजाय निडरता का परिचय देते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया। यदि वह चाहते तो अंग्रेजों से समझौता कर अपने राजपाठ को बचाकर सुख में जीवन जीते लेकिन उन्होंने राजशाही व्यवस्था को छोड़कर राष्ट्र के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
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इस दिन को कोई कैसे भूले
बताया जा रहा है कि,आज ही के दिन 28 दिसंबर 1859 को फांसी दी गयी थी । इस वीर योद्धा के परिवार व विश्वास पात्र लोगों को अंग्रेजो के उत्पीड़न से विस्थापित होना पड़ा फिर भी वहीं से भूमिगत होकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे।उनके शहादत को बलिदानी दिवस के रूप में मनाकर उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए संपूर्ण राष्ट्र अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। अ
इस मौके में यह सब रहे मौजूद
नमोल विरासत बन चुकी डौडिया खेड़ा के इस लाल की गौरव गाथा से सीना चौड़ा हो जाता है ।अवध क्षेत्र के क्रांतिकारियों को संगठित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है । युद्ध नीति से अंग्रेज उनके आगे नतमस्तक थे। इस मौके पर संजय सिंह,अजमत उल्ला खान, योगेन्द्र मौर्य,अंश सिंह चौहान, शिवांश सिंह,कुनाल दीक्षित,देवव्रत सिंह,अतुल सिंह,गौरव वर्मा,पंकज सिंह,दुर्गेश कुमार,नागेंद्र प्रताप सिंह सहित तमाम कार्यकर्ता एवं गणमान्य उपस्थित रहे।

