वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 15 मई को न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई तय की
Delhi
2:21 PM, May 5, 2025
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वक़्फ़ संशोधन कानून पर सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित (social image)
उत्तर प्रदेश/नई दिल्ली नए वक़्फ़ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब होने वाले भारत के नए मुख्य न्यायाधीश बी आर गवाई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। आज मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने इस मामले की सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्य न्यायधीश ने अगले सप्ताह अपने सेवानिवृत्त होने का हवाला देते हुए यह घोषणा की। वे 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जबकि न्यायमूर्ति गवई 14 मई को नए मुख्य न्यायधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। सुनवाई को स्थगित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से पहले इस मामले पर विस्तृत सुनवाई आवश्यक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई निर्णय सुरक्षित नहीं रखना चाहते।
सॉलिसिटर जनरल का रवैया सकारात्मक
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि सरकार अदालत को दिए गए आश्वासनों पर कायम रहती है। तो मामले को होने वाले नए मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंपे जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर सॉलिसिटर जनरल का रवैया सकारात्मक रहा, जिससे यह संकेत मिला कि सरकार अपने वादों पर कायम रहेगी। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया था कि वह पीठ द्वारा जताई गई चिंताओं के बाद नए वक़्फ़ कानून के उन बिंदुओं को लागू नहीं करेगी।
1500 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया
केंद्र ने 17 अप्रैल को अदालत को सूचित किया था कि वह 5 मई तक वक़्फ़ बाई-यूज़ समेत वक़्फ़ संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं करेगी और न ही केंद्रीय वक़्फ़ परिषद और बोर्डों में कोई नई नियुक्ति की जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि नए वक़्फ़ कानून के विरोध में केंद्र सरकार ने जो 1500 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया है, उसमें इन आपत्तियों को निराधार बताते हुए कानून का समर्थन किया गया है। दूसरी ओर जमीयत उलमा-ए-हिंद और अन्य पक्षकारों ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर अदालत को बताया है कि सरकार ने अपने हलफनामे के माध्यम से गुमराह करने की कोशिश की है, क्योंकि वक़्फ़ संशोधनों से न तो वक़्फ़ संपत्तियों और न ही मुसलमानों का कोई भला होने वाला है, बल्कि यह एक विशेष समुदाय के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है।
वक़्फ़ कानून के लागू होने पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए जो पांच याचिकाएं स्वीकार की गई हैं। उनमें सबसे पहली याचिका मौलाना अरशद मदनी की है। आज अदालत में जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की सहायता के लिए अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड फुज़ैल अय्यूबी, अधिवक्ता शाहिद नदीम, अधिवक्ता मुजाहिद अहमद और अन्य मौजूद थे।आज की कानूनी कार्यवाही पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक़्फ़ कानून के लागू होने पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक बनी रहेगी, यह एक सकारात्मक बात है। उन्हें उम्मीद है कि अगली सुनवाई में नए मुख्य न्यायधीश इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कोई अंतरिम निर्णय देंगे।
सॉलिसिटर जनरल का रवैया सकारात्मक
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि सरकार अदालत को दिए गए आश्वासनों पर कायम रहती है। तो मामले को होने वाले नए मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंपे जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर सॉलिसिटर जनरल का रवैया सकारात्मक रहा, जिससे यह संकेत मिला कि सरकार अपने वादों पर कायम रहेगी। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया था कि वह पीठ द्वारा जताई गई चिंताओं के बाद नए वक़्फ़ कानून के उन बिंदुओं को लागू नहीं करेगी।
1500 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया
केंद्र ने 17 अप्रैल को अदालत को सूचित किया था कि वह 5 मई तक वक़्फ़ बाई-यूज़ समेत वक़्फ़ संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं करेगी और न ही केंद्रीय वक़्फ़ परिषद और बोर्डों में कोई नई नियुक्ति की जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि नए वक़्फ़ कानून के विरोध में केंद्र सरकार ने जो 1500 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया है, उसमें इन आपत्तियों को निराधार बताते हुए कानून का समर्थन किया गया है। दूसरी ओर जमीयत उलमा-ए-हिंद और अन्य पक्षकारों ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर अदालत को बताया है कि सरकार ने अपने हलफनामे के माध्यम से गुमराह करने की कोशिश की है, क्योंकि वक़्फ़ संशोधनों से न तो वक़्फ़ संपत्तियों और न ही मुसलमानों का कोई भला होने वाला है, बल्कि यह एक विशेष समुदाय के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है।
वक़्फ़ कानून के लागू होने पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए जो पांच याचिकाएं स्वीकार की गई हैं। उनमें सबसे पहली याचिका मौलाना अरशद मदनी की है। आज अदालत में जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की सहायता के लिए अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड फुज़ैल अय्यूबी, अधिवक्ता शाहिद नदीम, अधिवक्ता मुजाहिद अहमद और अन्य मौजूद थे।आज की कानूनी कार्यवाही पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक़्फ़ कानून के लागू होने पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक बनी रहेगी, यह एक सकारात्मक बात है। उन्हें उम्मीद है कि अगली सुनवाई में नए मुख्य न्यायधीश इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कोई अंतरिम निर्णय देंगे।