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क्राइम/न्यूज़/land scam worth billions in moradabad up government adopts strict stance

मुरादाबाद में अरबों की जमीन का घोटाला , यूपी सरकार ने अपनाया सख्त रुख

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अगस्त में लखनऊ की एक सहकारी समिति द्वारा किए गए भूमि घोटाले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी कि, सहकारी आवास समितियों में भ्रष्टाचार की बीमारी बहुत गहराई तक है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी लखनऊ में कागजों पर बनी बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड द्वारा 3500 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम रजिस्ट्

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4:03 PM, Dec 21, 2025

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मुरादाबाद में अरबों की जमीन का घोटाला , यूपी सरकार ने अपनाया सख्त रुख
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उत्तर प्रदेश। अरबों की जमीन घोटाला करने का एक बहुत ही बडा मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि,​ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अगस्त में लखनऊ की एक सहकारी समिति द्वारा किए गए भूमि घोटाले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी कि, सहकारी आवास समितियों में भ्रष्टाचार की बीमारी बहुत गहराई तक है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी लखनऊ में कागजों पर बनी बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड द्वारा 3500 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम रजिस्ट्री कराने के मामले की सुनवाई  हुए थी।

एफआईआर दर्ज कर हुई थी कार्रवाई शुरू

हाईकोर्ट के इस कथन के बाद सरकार ने इस मामले में घोटला करने वाली आवास समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी। हाईकोर्ट और सरकार के सख्त रुख को देखते हुए यह सोचा गया था कि,राज्य में अब सहकारी समितियां भूमि घोटाला करने से बचेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुरादाबाद की मायानगर सहकारी आवास समिति द्वारा जिले में फर्जी डीड बना कर 100 करोड़ से अधिक का घोटाला किए जाने का मामला पकड़ा गया है। इस मामले में कार्रवाई करते हुए घोटालों के आरोपों से घिरी मायानगर सहकारी आवास समिति को भंग कर दिया गया है. अपर आयुक्त आवास द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद जिले के डीएम ने समिति को संचालित करने के लिए तहसीलदार की नियुक्ति की है. इस घोटाले के सामने आने के बाद सूबे के आवास आयुक्त ने प्रदेश की सभी आवास समितियों के दस्तावेज़ चेक करने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए है।

दोषियों के खिलाफ जल्द होगी कार्यवाही

आवास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मुरादाबाद की मायानगर सहकारी समिति के बारे में यह सूचना मिली थी कि , उक्त समिति ने जिले के छह प्रापर्टी डीलरों के साथ मिलकर समिति के सदस्यों को बदलकर दूसरों को जमीन बेची हैं। फर्जी दस्तावेज़ के जरिए फर्जी डीड बनाएं गए और समिति की 100 करोड़ रुपए से अधिक की ज़मीनें बेची गई। जबकि कई साल पहले जमीन की रजिस्ट्री करा चुके लोगों को अभी तक उनका प्लाट या फ्लैट समिति ने उपलब्ध नहीं कराया हैै। उक्त समिति पर लगे तमाम आरोप जांच में सही पाए गए। जिसके चलते एआईजी स्टांप ने समिति की जमीनों की खरीद-बिक्री पर रोक लगाते हुए समिति के खातों को सशर्त फ्रीज करा दिया है। जिले के जिलाधिकारी अनुज सिंह ने उक्त समिति की जमीनों का ऑडिट करने के लिए एडीएम प्रशासन के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी है। अनुज सिंह के अनुसार, जिले की एडीएम प्रशासन संगीता गौतम इस मामले को अब देख रही हैं। समिति की जमीनों के हो रहे ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद उक्त समिति के दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का दावा डीएम अनुज सिंह ने किया है।

आवास विकास के अफसरों के अनुसार, लखनऊ की बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड ने शहर के सबसे महंगे इलाके गोमती नगर में एक अन्य हिमालयन सहकारी गृह निर्माण समिति के साथ मिलकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों के मिलीभगत से करीब 3500 करोड़ रुपए की सरकारी जमीनों को अपने लोगों को बेचने का घोटाला किया। इस घोटाले ने सूबे के सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। तो सरकार ने इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए। इस बीच कुछ लोगों के हाईकोर्ट में इस मामले की याचिका दायर की, इसी बीच सरकार की जांच से यह पता चला कि बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण सिंह वाफिला और पूर्व सचिव लखन सिंह बलियानी के नेतृत्व में एक संगठित भू-माफिया गिरोह ने फर्जी दस्तावेजों और रिश्तेदारों के नाम पर जमीनों की रजिस्ट्री कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। यह जांच चल ही रही थी कि, इसी बीच लखनऊ हाईकोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी तो आनन — फानन में सरकार ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

जांच में निकली करोड़ों रुपये की हेराफेरी

सरकार के निर्देश के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गाजीपुर थाने में दर्ज एफआईआर कराकर इस घोटाले की जांच शुरू की। अब तक की जांच से यह पता चला है कि, बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड को अनुसूचित जाति और निर्बल वर्ग के लोगों को आवासीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए बनाया गया था। परन्तु कागजों पर बनी इस समिति ने सरकारी जमीनों को हड़पने का कार्य किया। समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण सिंह वाफिला और पूर्व सचिव लखन सिंह बलियानी ने भू-माफिया गैंग के साथ मिलकर फर्जी सदस्यों को समिति में शामिल किया.इन फर्जी सदस्यों के नाम पर गोमती नगर एक्सटेंशन योजना के तहत आवंटित भूखंडों को गैरकानूनी तरीके से रजिस्ट्री कराया गया। इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों ने न केवल समिति की जमीनों का अवैध आवंटन किया। बल्कि इन भूखंडों को अपने रिश्तेदारों, सहयोगियों और कुछ एलडीए अधिकारियों के नाम रजिस्ट्री कराकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। जांच से यह पता चला कि उक्त समिति ने करीब 3.59 लाख वर्ग फीट जमीन पर फर्जी तरीके कब्जा किया.इस जमीन की कीमत 3500 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है । 

मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी

राज्य के स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रवींद्र जायसवाल का कहना है कि, यूपी में सहकारी समिति के जरिए हुए दो बड़े भूमि घोटालों को सरकार ने गंभीरता से लिए है। दोनों ही मामलों के कार्रवाई की जा रही हैं. ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार के स्तर से आवास समितियों के दस्तावेज़ आदि चेक करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि आवास समितियां लोगों के साथ धोखाधड़ी ना कर सके। इसके साथ ही सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त में स्टांप चोरी ना होने पाए इसके भी निर्देश दिए गए हैं। अब यह देखा जा रहा है कि संपत्तियों की रजिस्ट्री के लिए सर्किल रेट के आधार पर स्टांप व शुल्क दिया गया है या नहीं,कई कवायद का मकसद गड़बड़ी करने वालों को पकड़ना है।

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