“सच्चा शिक्षक वही है जो केवल किताबें नहीं, जीवन पढ़ाना जानता है।”
एक शिक्षक के जीवन का सबसे सुखद दिन वही होता है, जब उसके छात्रों की मेहनत रंग लाती है। परीक्षा परिणाम जब आते हैं और उन पन्नों में विद्यार्थियों की लगन, संघर्ष और आत्मविश्वास झलकते हैं—तो वह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं होता।
UTTAR PRADESH
1:07 PM, May 15, 2025
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लेखक – कुमार अनुराग By author
लेखक – कुमार अनुराग
एक शिक्षक के जीवन का सबसे सुखद दिन वही होता है, जब उसके छात्रों की मेहनत रंग लाती है। परीक्षा परिणाम जब आते हैं और उन पन्नों में विद्यार्थियों की लगन, संघर्ष और आत्मविश्वास झलकते हैं—तो वह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं होता।
आज मेरे लिए ऐसा ही एक गौरवपूर्ण अवसर है। मुझे यह जानकर अपार प्रसन्नता हुई कि जिन-जिन विद्यालयों में मैंने हिंदी पढ़ाई, वहाँ के अनेक छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया। यह सफलता केवल उनके परिश्रम की नहीं, बल्कि उस सामूहिक साधना का परिणाम है, जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों साथ-साथ चलते हैं।
फिर भी, एक छोटी-सी कमी मन को कचोटती है। इस बार पूर्ण सफलता की वह अंतिम सीमा कोई नहीं छू सका। यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि आत्मविश्लेषण का अवसर है। मैं इसे भी अपनी ज़िम्मेदारी मानता हूँ, क्योंकि हर विद्यार्थी का हर अनुभव—सफलता या चुनौती—एक शिक्षक के मार्गदर्शन से जुड़ा होता है।
दार्शनिक कांट का यह विचार आज बहुत प्रासंगिक लगता है—“मनुष्य को साधन नहीं, साध्य मानो।” मेरे लिए भी हर छात्र एक सोचने-समझने वाली आत्मा है, जो अपने अनुभवों से परिपक्व होता है। जिन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके, उनके लिए यह एक नई शुरुआत है—खुद को पहचानने, निखारने और साहस के साथ आगे बढ़ने की।
मैं अपने सभी छात्रों के साथ हूँ—उनकी उपलब्धियों में भी और उनके संघर्षों में भी।शिक्षा का अर्थ केवल परिणाम नहीं, बल्कि निरंतर विकास और आत्मबोध है।-------------------आइए, अगली बार हम मिलकर नया इतिहास रचें।