उत्तर प्रदेश/लखनऊ। समस्त अरिष्ट निवारक एक मुखी रुद्राक्ष अधिपति ग्रह सूर्य-पापों से मुक्ति के लिए,सभी कार्यों में सफलता के लिए, सरकारी अनबन से शान्ति के लिए,समस्त इच्छाओं की पूर्ति,तरक्की एवं मुक्ति के लिए,शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए,मन की प्रसन्नता एवं आत्मबल में वृद्धि के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष का पूजन करने से घर में लक्ष्मी का वास रहता है। यह मोक्ष प्राप्ति में सहायक है। साथ ही सूर्य दोष हटाने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष का योगदान सर्वोपरि है। मधुर संबंध प्रदायी दो मुखी रुद्राक्ष अधिपति ग्रह चन्द्रमा-मानसिक शान्ति के लिए,कार्य,व्यापार में सफलता के लिए,क्रोध कम करने के लिए,दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि के लिए,समृद्धि और सुरक्षा के लिए,आध्यात्मिक उत्थान के लिए,विद्यार्थियों में एकाग्रता शक्ति बढ़ाने के लिए,चन्द्र दोष निवारण के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
महत्वपूर्ण रुद्राक्ष
रक्तचाप नियंत्रक तीन मुखी रुद्राक्ष अधिपति ग्रह मंगल-आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए,दुर्बलता दूर करने के लिए,पाचन क्रिया ठीक करने के लिए,स्त्रियों में स्वास्थ्य कष्ट तथा गर्भपात से सुरक्षा हेतु,घर में धन-धान्य की वृद्धि के लिए,ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए,दुर्भाग्य दूर करने के लिए एवं समृद्धि प्राप्ति के लिए,पितृ दोष की शांति के लिए तथा मंगल दोष निवारण के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। मनोरोगहारी चार मुखी रुद्राक्ष अधिपति ग्रह बुध-मानसिक रोग दूर करने के लिए,सकारात्मक सोच एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए,विद्या एवं ज्ञान के क्षेत्र में लाभ अर्जित करने के लिए,सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए,संतति प्राप्ति के लिए,प्रभावपूर्ण साक्षात्कार के लिए,आर्थिक सम्पन्नता के लिए तथा बुध दोष निवारण के लिए चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना विशेष लाभकारी रहता है।
ऐसी होनी चाहिए रुद्राक्ष
आयुष्यवर्द्धक पाँच मुखी रुद्राक्ष अधिपति ग्रह बृहस्पति-यशोवृद्धि,सुख-शांति एवं ख्याति की प्राप्ति के लिए,मानसिक शांति एवं प्रफुल्लता के लिए, दाम्पत्य सुख एवं धन-धान्य के लिए,अभक्ष्य भक्षण के पाप से मुक्ति के लिए,नर हत्या के पाप से मुक्ति के लिए,वाद-विवाद एवं शत्रुता निवारण के लिए तथा बृहस्पति दोष निवारण के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष का लाभ सर्वाधिक मिलता है। पांच मुखी रुद्राक्ष सर्वाधिक पाया जाता है। इसलिए अन्य मुखी रुद्राक्षों की अपेक्षा पंचमुखी रुद्राक्ष,जिस पर पांच धारियां बनी होती हैं,आसानी से मिल जाता है।