उत्तर प्रदेश/लखनऊ।भारत बंद को लेकर बुधवार को हजरतगंज में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर प्रतिमा पर बसपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया है।1 अगस्त को आरक्षण पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की कोई जगह न होने का विरोध करते हुए बसपा सुप्रीमों मायावती ने 21 अगस्त को भारत बंद का आवाहन किया है। जिसके विरोध में बुधवार को बसपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन् किया है।
क्या होता है क्रीमी लेयर,इसके दायरे में कौन आएगा
क्रीमी लेयर का मतलब होता है, वह वर्ग जो आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर चुका है. एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का मतलब है कि एससी-एसटी समुदायों के उन लोगों को जो उच्च आय वाले परिवारों से आते हैं। साल 1971 में सत्तानाथन आयोग ने क्रीमी लेयर शब्द का इस्तेमाल किया था। आयोग ने कहा था कि क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोगों को सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण के दायरे से बाहर रखना चाहिए। ओबीसी वर्ग में क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोगों को सरकार की शैक्षिक, रोजगार व अन्य योजनाओं के लिए पात्र नहीं माना जाता।
डॉ बी आर अम्बेडकर के संविधान में क्रीमी लेयर का प्राविधान नही
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 10 अगस्त 2024 को कैबिनेट की बैठक में बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डिटेल में चर्चा के बाद मंत्रिमंडल का मत है कि एनडीए की सरकार डॉ. अम्बेडकर के दिए संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है। कैबिनेट ने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण प्रणाली में “क्रीमी लेयर” का प्रावधान नहीं है। ऐसे में अंबेडकर के संविधान के मुताबिक ही आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।