त्रिकालदर्शी महर्षि दुर्वासा के आश्रम पर खर्च होंगे 76.32 लाख रुपए -जयवीर सिंह
आजमगढ़ की धरती ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। महर्षि दुर्वासा का आश्रम जिले के आध्यात्मिक जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सती अनुसुइया और अत्रि मुनि के पुत्र महर्षि दुर्वासा महज 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से फूलपुर आए और तमसा-मंजूषा नदी के संगम पर तपस्या की। हाल के वर्षों में दुर्वासा ऋषि स्थल श्रद्धालुओं की पहली पसंद बनकर उभरा है।
UTTAR PRADESH
3:22 PM, Jul 6, 2025
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आजमगढ के फूलपुर में महर्षि दुर्वासा का आश्रम सौ0 GOOGLE
उत्तर प्रदेश।आजमगढ़ की धरती ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। महर्षि दुर्वासा का आश्रम जिले के आध्यात्मिक जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सती अनुसुइया और अत्रि मुनि के पुत्र महर्षि दुर्वासा महज 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से फूलपुर आए और तमसा-मंजूषा नदी के संगम पर तपस्या की। हाल के वर्षों में दुर्वासा ऋषि स्थल श्रद्धालुओं की पहली पसंद बनकर उभरा है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने पवित्र स्थली के महत्व को देखते हुए विकास, सौंदर्यीकरण व मूलभूत सुविधाओं की स्थापना का निर्णय लिया है। उस परियोजना पर 76.32 लाख रुपए की धनराशि खर्च होगी।
पूर्वांचल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल,बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का होता है आगमन
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि साल भर फूलपुर स्थित महर्षि दुर्वासा आश्रम में श्रद्धालुओं का लगातार तांता लगा रहता है। श्रद्धालु यहां भगवान शिव और महर्षि दुर्वासा के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह स्थल अपनी आध्यात्मिक शांति और रमणीयता के लिए विख्यात है। सावन और कार्तिक मास सहित वर्षभर के प्रमुख पर्वों पर यहां भव्य मेलों का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। यह स्थल न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तमसा नदी के किनारे ही त्रिदेवों के अंश और महार्षि दुर्वासा का आश्रम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर युग में महर्षि दुर्वासा का स्थान श्रेष्ठ माना गया है। प्रत्येक कार्तिक पूर्णिमा को यहां लगने वाले तीन दिवसीय मेले में विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। धार्मिक मान्यता यह भी है कि दुर्वासा धाम आने वाले भक्त जब तक पंचकोसी परिक्रमा पूरी ना करें, तब तक यहां की यात्रा अधूरी मानी जाती है। तमसा नदी के किनारे ही त्रिदेवों के अंश चंद्रमा मुनि आश्रम, दत्तात्रेय आश्रम और दुर्वासा धाम स्थित है। इन तीनों पावन स्थलों की परिक्रमा करके पांच कोस की दूरी तय की जाती है। महर्षि दुर्वासा के अतिरिक्त यहां दत्तात्रेय, चंद्रमा ऋषि सहित कई महान ऋषियों के धाम हैं, जो इस क्षेत्र की धार्मिक गरिमा को बढ़ाते हैं।
महर्षि से जुडा धार्मिक महात्म यहां जानेंगे पर्यटक
जयवीर सिंह ने बताया कि महर्षि दुर्वासा जैसे महान तपस्वी की तपोस्थली को विकसित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। आजमगढ़ जनपद की यह पावन स्थली न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न अंग है। पर्यटन विभाग द्वारा दुर्वासा ऋषि स्थल के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए 76.32 लाख रुपए की परियोजना को स्वीकृति दी गई है। हमारा उद्देश्य है कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलें। यह स्थल वैश्विक धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराए।