देव और वसुधा की लवस्टोरी के बीच आया एक अज्ञात दुश्मन,क्या होगा आगे का नया मोड !
वसुधा और देव की शादी होने के बाद मुसीबतों का कहर बरस रहा है। एक तरह वसुधा के पिता हनुमंत को लगता है कि,वसुधा और देव की शादी की बात सबको मालूम है मगर ऐसा कुछ भी नही है। देव ने वसुधा से शादी करने के लिए सबसे से झूठ बोला था। वसुधा को भी शादी से एक दिन पहले ही सारी बात के बारे मे मालूम हुआ। लेकिन वसुधा देव की जान को खतरे में नही डालना चाहती थी। जिसकी वजह वो देव की योजना मे साथ देती है।
lucknow
6:10 PM, Oct 17, 2025
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SKETCH BY- GOOGLE
उत्तर प्रदेश। वसुधा और देव की शादी होने के बाद मुसीबतों का कहर बरस रहा है। एक तरह वसुधा के पिता हनुमंत को लगता है कि,वसुधा और देव की शादी की बात सबको मालूम है मगर ऐसा कुछ भी नही है। देव ने वसुधा से शादी करने के लिए सबसे से झूठ बोला था। वसुधा को भी शादी से एक दिन पहले ही सारी बात के बारे मे मालूम हुआ। लेकिन वसुधा देव की जान को खतरे में नही डालना चाहती थी। जिसकी वजह वो देव की योजना मे साथ देती है। देव और वसुधा बडी ही मुश्किले के साथ शादी कर लेते है। लेकिन देव के पिता को यह सब पता चल जाता है। जिससे उनको दिल का दौरा पड जाता है और उनको अस्पताल मे भर्ती किया जाता है। जहां पर डाक्टरो के द्वारा बताया जाता है कि,उनकी ताबियत बहुत ही खराब है।
वसुधा और देव की शादी को देखकर देव के पिता को आया दिल का दौरा
वसुधा और देव को पता चल जाता है कि,देव के पिता ने सब कुछ देख लिया होता है जिसके कारण उसको बहुत ही बडा झटका लग जाता है। देव और वसुधा खुद को दोष देने लगते है कि,उनकी वजह से देव के पिता की हालत इतनी बुरी हो गई है। वही दूसरी ओर चंद्रिका अचानक से अपने पति की ताबियत खराब होने की वजह से बहुत ही ज्यादा परेशान होती है। वो सोचती है शादी से पहले तो सबकुछ ठीक था। लेकिन शादी के बाद से ऐसा क्या हो गया कि,उनकी यह हालत हो गयी। सभी लोग मिलकर देव के पिता के लिए प्रार्थना करते है कि,वो जल्दी से ठीक हो जाए। कुछ देर बाद डाक्टर आकर बताते है कि,अब वो खतरे से बाहर है और उन्होने अपनी पत्नी को मिलने के लिए बुलाया है। देव को लगता है कि,उसके पिता सबकुछ मां को बता देगा।
देव ने देखा सपना कि,चंद्रिका ने मारा थप्पड
देव सारी बातो के बारे में सोच ही रहा होता है तभी वहां पर चंद्रिका आती है और देव को थप्पड मार देती है। चंद्रिका देव से कहती है कि,तुम हमारा अभिमान थे देव तुम ने तो हमारा दिल ही तोड दिया। आज से हम तुम से सारे रिश्ते तोडते है। तुम हमारे लिए बस एक अंजान इंसान हो। तुम ने हमारे विश्वास का खून किया। लेकिन यह सब सपना होता है। सच्चाई में तो देव के पिता ने किसी को कुछ भी नही बताया होता है। देव अपने पिता से जब मिलने के लिए जाता है। तब देव को उनसे बहुत ही बुरा — भला सुनना पडता है। देव उनसे बात करने की कोशिश करता है। लेकिन वो उनकी किसी बात को सुनने को तैयार ही नही होते है। जब वो घर पर भी आते है। तब वो देव और वसुधा से नाराजगी जताते है। वो कहते है कि,तुम लोगो को पता ही नही है चंद्रिका ने तुम दोनो के लिए कितने लोगो से लडाई की है। उसने तुम लोगो पर इतना विश्वास किया और तुम लोगो ने इतना बडा कदम ऐसा ही ले लिया। हम लोगो को तुम लोगो ने धोखा देने से पहले एक बार भी सोचा भी नही।
देव ने अपने पिता को बताई सारी मजबूरियां
दिखाया जाता है कि,देव के पिता से बात करने के लिए देव और वसुधा और वसुधा जाते है। जहां पर पहले देव जाकर बताता है कि,वसुधा मुझे बहुत ही पहले से अपना पति मानती है। गुरू जी जिस रक्षा कवच के बारे में बता रहे थे। वसुधा के गले में पडा हुआ ही मंगलसूत्र मेरा रक्षक कवच है। देव बताता है कि,जब वसुधा ने मंगल सूत्र निकलने की कोशिश की है तब मेरी जान जाते — जाते बची है। वो सबकुछ बताता है कि,जब वसुधा के पिता हनुमंत को पता चला कि,मैं और वसुधा एक — दूसरे से प्यार करते है। तो उन्होने वसुधा को जहर देकर मारने की कोशिश की,वो तो अच्छा हुआ कि,मैं और आवी मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद वसुधा की हालत बहुत ही ज्यादा खराब हो गयी। वसुधा मौत के घर से वापस आयी है। फिर वसुधा के पिता ने चुपकर उसका मंगलसूत्र तोड दिया। जिसके बाद मेरे ऊपर उस दिन पंखा गिर गया था। तब देव के पिता कहते है कि,तुम्हे हम लोगो को बताना चहिए था। तुम ने सोचा है जब चंद्रिका को यह पता चलेगा कि,तुम ने और वसुधा इस तरीके से शादी की है,तो वो तुम्हे और वसुधा को कभी माफ नही करेगी।
एक अज्ञात इसांन देव को बातो मे फंसाकर अपने साथ ले गया
हनुमंत को यही लगता है कि,देव और वसुधा की बात को लेकर सब राजी थे और चंद्रिका ने ही देव और वसुधा की शादी करवाई है। हनुमंत शादी के बाद होने वाली रश्मो को निभाने की तैयारी करने के लिए जुट जाता है। लेकिन कैसे भी करके वसुधा उनको रोक लेती है कि,अभी बडे हुकुम की सेहत ठीक नही है। जिसकी वजह से अभी हम लोगो को जल्दी नही करनी चहिए। हनुमंत भी मान जाता है कि,लेकिन वो छोटी — मोटी रश्मो को निभाने के लिए कहता है कि,जिस पर आवी और दिव्य मिलकर संभाल लेते है। वही दूसरी ओर देव काम के सिलसिले मे एक जमीन को देखने के लिए जाता हैै। लेकिन उसकी जान खतरे मे पड जाती है और उसकी जान एक अज्ञात इसांन बचा लेता है। देव को वो बताता है कि,उसकी बहन उसकी बहुत बडी फैन है। वो उससे मिलना चाहती है। लेकिन देव कहता है कि,आज मेरे पास टाइन नही है। लेकिन वो बातो मे फंसाकर देव को अगले दिन मिलने के लिए मजबूर कर लेता है। जब देव उसके घर जाता है। तब ज्यादा तो नही बस इतना दिखाया गया कि,वहां पर देव का स्वागत बहुत ही धूम — धाम से किया जा रहा है।