पुरातत्व अभिरुचि पाठयक्रम,प्रतियोगिता में 230 प्रतिभागी हुए शामिल,लखनऊ में किया गया आयोजन
लखनऊ में शनिवार को पुरातत्त्व अभिरुचि पाठ्यक्रम के ग्यारहवें दिन दो सत्रों में व्याख्यान और तीसरे सत्र में समापन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो० मांडवी सिंह, कुलपति, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ थीं। उन्होंने 11 दिनों तक चले पाठ्यक्रम पर आधारित असाइनमेंट प्रतियोगिता में श्रेष्ठ पांच प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए। इसके साथ ही सभी
lucknow
7:43 PM, Aug 30, 2025
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व्याख्यान और असाइनमेट प्रतियोगिता में पुरस्क्रत प्रतिभागी और अधिकारी सौ0 पुरातत्व विभाग
उत्तर प्रदेश। लखनऊ में शनिवार को पुरातत्त्व अभिरुचि पाठ्यक्रम के ग्यारहवें दिन दो सत्रों में व्याख्यान और तीसरे सत्र में समापन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो० मांडवी सिंह, कुलपति, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ थीं। उन्होंने 11 दिनों तक चले पाठ्यक्रम पर आधारित असाइनमेंट प्रतियोगिता में श्रेष्ठ पांच प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए। इसके साथ ही सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किया गया।
वक्ताओं ने भारत के विभिन्न शैली,युग चित्रण पर दिया व्यख्यान

सभागार में व्याख्यान और असाइनमेट प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागी सौ0 पुरातत्व विभाग
निदेशक रेनू द्विवेदी ने पाठ्यक्रम की उपलब्धियों और प्रासंगिकता को लेकर प्रकाश डाला और वक्ताओं का स्वागत किया। इसके साथ ही प्रथम दो सत्रों में विशिष्ट अतिथि डॉ० विजय माथुर, सलाहकार, संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली ने “भारतीय लघु चित्रकला का इतिहास एवं शैली” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इसकी परंपरा गुप्त युग और अजंता से प्रारंभ होकर 10वीं–12वीं शताब्दी में जैन-बौद्ध ग्रंथों के चित्रण से विकसित हुई, मुगल काल में इसे स्वर्णयुग प्राप्त हुआ और बाद में राजस्थान, पहाड़ों और दक्कन में विभिन्न क्षेत्रीय शैलियाँ विकसित हुईं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने का अवसर—प्रो० मांडवी सिंह

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो० मांडवी सिंह सौ0 पुरातत्व विभाग
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो० मांडवी सिंह ने कहा है कि यह कार्यक्रम न केवल हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने की प्रेरणा भी देता है। उन्होंने कहा कि पुरातत्त्व हमें अतीत से जोड़ता है और वर्तमान में हमारी सांस्कृतिक चेतना को सशक्त बनाता है।
पुरातत्त्व अभिरुचि पाठ्यक्रम में 230 प्रतिभागी हुए शामिल

व्याख्यान में शामिल प्रतिभागी और पुरातत्व निदेशालय के अधिकारी सौ0 पुरातत्व विभाग
डॉ० मनोज कुमार यादव ने बताया कि,इस अवसर पर लगभग 230 प्रतिभागियों के साथ-साथ पुरातत्व निदेशालय के सहायक पुरातत्व अधिकारी ज्ञानेंद्र कुमार रस्तोगी, बलिहारी सेठ, अभयराज सिंह, संतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार, अकील खान, मयंक, अभिषेक कुमार द्वितीय, हिमांशु, निर्भय एवं अन्य विभागीय कर्मचारी उपस्थित रहे।