पर्यटन विभाग सवांर रहा आलमनगर का बुद्धेश्वर महादेव मंदिर
पर्यटन विभाग लखनऊ द्वारा मोहान रोड,आलमनगर स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर को संवारने के लिए तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 2.31 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई। वर्तमान में परिसर में आगंतुक सुविधाओं के उन्नयन, आवाजाही में सुधार और ऐतिहासिक महत्त्व को संरक्षित करने से जुड़े कार्य तेज़ी से प्रगति पर हैं।
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4:47 PM, Dec 1, 2025
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पर्यटन विभाग सवांर रहा आलमनगर का बुद्धेश्वर महादेव मंदिर सौ0 RExpress भारत
उत्तर प्रदेश। लखनऊ।पर्यटन विभाग लखनऊ द्वारा मोहान रोड,आलमनगर स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर को संवारने के लिए तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 2.31 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई। वर्तमान में परिसर में आगंतुक सुविधाओं के उन्नयन, आवाजाही में सुधार और ऐतिहासिक महत्त्व को संरक्षित करने से जुड़े कार्य तेज़ी से प्रगति पर हैं। यह परियोजना पूरी होने के बाद मंदिर परिसर अधिक सुव्यवस्थित, सुरक्षित और आधुनिक सुविधाओं से युक्त रूप में नजर आएगा।
मंदिर की सीमा सुरक्षा के लिए रिटेरिंग वाल खूबसूरत द्वार निर्माण
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि मंदिर के कई हिस्सों में सुधार कार्य तेजी से चल रहा है, जिनमें नया ग्रेनाइट मार्ग, संरचनात्मक सुरक्षा के लिए रिटेनिंग वॉल, और नया मुख्य प्रवेश द्वार शामिल है। सरकार प्रमुख धार्मिक स्थलों को बेहतर सुविधाओं से मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। बुद्देश्वर महादेव मंदिर लखनऊ के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है और हजारों भक्तों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे में जल्द से जल्द इस पौराणिक स्थल को संवारने का काम चल रहा है। मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि, मंदिर परिसर में नया ग्रेनाइट मार्ग लगभग तैयार है। इसके साथ ही मंदिर की सीमा को सुरक्षित रखने और कटाव रोकने के लिए एक मजबूत रिटेनिंग वॉल बनाई जा रही है। नया बड़ा प्रवेश द्वार भी तैयार हो रहा है, जिससे मंदिर में प्रवेश और अधिक साफ-सुथरा और व्यवस्थित होगा।
राजा बख्शी ने स्थापित किया था बुद्धेश्वर महादेव मंदिर
भस्मासुर की प्रसिद्ध कथा से जुड़ा बुद्धेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण राजा बक्शी द्वारा करवाया गया था। स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान शिव द्वारा वरदान देने के बाद जब भस्मासुर उसे भगवान शिव पर ही आज़माने लगा, तो देवता इसी स्थान पर आए और समाधान खोजा। माना जाता है कि यहीं उन्हें भस्मासुर का ध्यान भटकाने के लिए नृत्य का उपाय सूझा। फिर नृत्य करते-करते भस्मासुर ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और स्वयं ही भस्म हो गया। इसी कथा से मंदिर के नाम की उत्पत्ति भी जुड़ी मानी जाती है।
स्वयं प्रकट हुआ था यहां पर शिवलिंग
महाशिवरात्रि पर यहां भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है और किसी मनुष्य द्वारा स्थापित नहीं किया गया। यह भी विश्वास है कि स्वयं सीता और लक्ष्मण ने इसी शिवलिंग पर जल चढ़ाया था, जिससे मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है।मंत्री जयवीर सिंह कहते है कि “बुद्धेश्वर महादेव मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि लखनऊ की सदियों पुरानी आध्यात्मिक धरोहर है। यहां से भस्मासुर और त्रेतायुग की कथाएँ जुड़ी हैं, जो हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। हमारा कर्तव्य है कि इस धरोहर को सुरक्षित रखें और इसे ऐसा स्वरूप दें जहां भक्त आधुनिक सुविधाओं के साथ अपने इतिहास और आस्था की अनुभूति कर सकें।

