कृषि शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ें- राज्यपाल आनंदी बेन पटेल
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह के मौके पर छात्रों,वैज्ञानिकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि, विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपने-अपने विभागों में अच्छा कार्य कर रहे हैं।जिसने श्रेष्ठ कार्य किया है,उसे मेडल अवश्य मिलना चाहिए।
UTTAR PRDESH
10:32 AM, Jun 30, 2025
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल और सीएम योगी सौ0 सीएम मीडिया सेल
उत्तर प्रदेश।बरेली। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह के मौके पर छात्रों,वैज्ञानिकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि, विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपने-अपने विभागों में अच्छा कार्य कर रहे हैं।जिसने श्रेष्ठ कार्य किया है,उसे मेडल अवश्य मिलना चाहिए।परंतु पुरस्कार न मिलने वालों को निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने कृषि शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि, विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और ग्रामीण सहभागिता जरूरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “क्वालिटी एजुकेशन” के संकल्प
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “क्वालिटी एजुकेशन” के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुल 5 कृषि विश्वविद्यालय हैं और हमें यह समझना होगा कि, हमारी जरूरतें, समस्याएं और प्राथमिकताएं क्या हैं, तभी हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को आसपास के गांवों से छात्रों को जोड़ने के लिए प्रयास करने चाहिए। यही सच्चे अर्थों में शिक्षा का उद्देश्य होगा। अयोध्या का कृषि विश्वविद्यालय जहां देश में नैक में A+ ग्रेड पाकर पहले स्थान पर है, वहीं मेरठ की सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय A श्रेणी में सम्मिलित है। यह गर्व का विषय है।
अयोध्या का कृषि विश्वविद्यालय को देश में नैक मूल्यांकन में A+ ग्रेड बडी उपलब्धि
राज्यपाल ने कहा कि कृषि और पशुपालन रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं और इनसे जुड़ी योजनाओं और बजट का पूर्ण उपयोग कर किसानों, महिलाओं और पशुपालकों की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। उन्होंने गुजरात की 2003 की कृषि रथ यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि सीधे किसानों से संवाद ही बदलाव का आधार बनता है। गुजरात में ऐसा हुआ जब रथ यात्रा के दौरान प्रदेश के कृषि बैज्ञानिक, प्रोफेसर और शोधकर्ता किसानों के पास जाकर सीधे संवाद स्थापित किया, उनकी जरूरतों को सुना और फिर प्रदेश में कृषि व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाब आया।