चंद्रिका के सुहाग पर आयी कयामत,वसुधा और देव हुए खडे
वसुधा और देव की शादी होने के बाद भी इन दोनों की जिंदगी में खुशियां नहीं आ रही है। चंद्रिका ने देव और वसुधा कीे सच्चाई जानने के बाद इन दोनो को घर से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद देव और वुसधा ने अपने रहने का ठिकाना ढूंढा। लेकिन दुश्मनों की चालो ने इन दोनों की जिंदगी को और भी ज्यादा नरक से बेहतर कर दिया है । कोई ना कोई इन दोनों के रास्ते में कांटे बिछाने के लिए तैयार रहता है।
lucknow
4:34 PM, Dec 12, 2025
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उत्तर प्रदेश। वसुधा और देव की शादी होने के बाद भी इन दोनों की जिंदगी में खुशियां नहीं आ रही है। चंद्रिका ने देव और वसुधा कीे सच्चाई जानने के बाद इन दोनो को घर से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद देव और वुसधा ने अपने रहने का ठिकाना ढूंढा। लेकिन दुश्मनों की चालो ने इन दोनों की जिंदगी को और भी ज्यादा नरक से बेहतर कर दिया है । कोई ना कोई इन दोनों के रास्ते में कांटे बिछाने के लिए तैयार रहता है। एक तरफ देव की मां चंद्रिका गुस्से के मारे आग बबूला हो रखी है। वसुधा और देव की शादी के बाद भी एक दूसरे के साथ पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं रखा क्योंकि, वसुधा ने देव से कहा था कि, जब तक देव की मां चंद्रिका इन दोनों के रिश्ते को नहीं मानेगी। तब तक यह दोनों अपने शादीशुदा रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाएंगे या दोनों साथ में रहेंगे साथ में दुख बाटेंगे और साथ में खुशियां बाटेंगे। लेकिन पति-पत्नी वाला रिश्ता तब तक नहीं बनाएंगे। जब तक की चंद्रिका इन दोनों के रिश्ते को मन नहीं लेती।देव अपना और वसुधा का पेट पालने के लिए जॉब ढूंढता है। लेकिन दुश्मनों की कमी कहां है। दुश्मन अपनी चाल पर चाल चलते हैं देव की नौकरी न मिलने का कारण दुश्मनी ही तो है। जिसके कारण देव को नौकरी नहीं मिल पाती ।लेकिन वसुधा और देव हार मानने वालों में से नहीं है । देव कैसे भी करके नौकरी ढूंढ लेता है और वहीं पर जॉब करने लगता है। लेकिन दिक्कत तो यह होती है कि, देव को सेल्समैन की जॉब मिली होती है और देव ने यह बात वसुधा से छुपी होती है। क्योंकि देव नहीं चाहता था कि, वसुधा को थोड़ा भी बुरा लगे कि, उसकी वजह से देव को यह सब काम करना पड़ रहा है। लेकिन जब देव अपना काम कर रहा था। तब वहां पर चंद्रिका ऑफिस की मीटिंग के लिए आ जाती है । वहीं दूसरी और दुश्मन भी वहां पर होता है चंद्रिका को वहां देखकर देव चुपचाप वहां से जाने लगता है। लेकिन दुश्मन देव को जानबूझकर गिरा देता है और खाना जो दुश्मन के पैर पर गिरा होता है। उसको साफ करने के लिए बोलता है।
चंद्रिका को वुसधा के प्रति हुई गलतफहमी
चंद्रिका जब यह सब आवाज सुनकर वहां पहुंच जाती है और वहीं पर देव का चेहरा देख लेती है। चंद्रिका को बहुत ही बुरा लगता है कि, उसका बेटा या सब काम कर रहा है । क्योंकि देव इतनी बड़ी कंपनी का सीईओ था। लेकिन जब से उसने वसुधा के साथ अपना जीवन शुरू किया है। तब से उसको यह सब झेलना पड़ रहा है । देव बहुत ज्यादा दुखी हो जाता है । देव की मां चंद्रिका गुस्से में आग बबूला होकर वसुधा के पास जाती है और उसे ढेर सारी बद्दुआ देती है कि,उसने एक मां से उसके बेटे को छीना है। वह कभी भी खुश नहीं रहेगी। जिस पर वसुधा को बहुत ही ज्यादा हैरानी और दुख होता है। वहीं दूसरी और देव के पिता वसुधा को कहते हैं कि, चंद्रिका अभी गुस्से में इसलिए उसकी बातों को दिल पर लगाने की जरूरत नहीं है। जब देव घर पर आता है तब वसुधा उससे पूछती है कि,आपने मुझसे इतना बड़ा झूठ क्यों बोला। तब देव सब कुछ उसको समझाना है । इन्हीं सब बातों को लेकर घर पर चंद्रिका और देव के पिता के बीच में लड़ाई हो जाती हैं। देव के पिता लड़ाई के बीच में गुस्से में कह देते हैं कि,देव वसुधा की वजह से नहीं बल्कि चंद्रिका तुम्हारी वजह से दूर हो गया है। जिसके बाद चंद्रिका बहुत ज्यादा दुखी हो जाती है। देव के पिता कड़वी बातें बोल ही रहे होते हैं ।लेकिन देव के पिता को हार्ट अटैक आ जाता है। जिसके बाद देव के पिता को अस्पताल में ले जाया जाता है। वहां पर देव के पिता की हालत बहुत ही ज्यादा नाजुक बनी होती है। जिसको लेकर चंद्रिका बहुत ज्यादा दुखी होती है।तभी आवी के फोन पर वसुधा बार-बार कॉल करती है क्योंकि वसुधा को एहसास हो चुका था कि, घर में कुछ गड़बड़ है। लेकिन उसका फोन सारिका उठाती है जो कि , देव की चाची है वह वसुधा को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती है। इसीलिए वह वसुधा से झूठ बोल देती है और कहती है कि, आवी तुम्हारा फोन कभी नहीं उठाना चाहता है। तुम्हारी वजह से देव के पिता की हालत की नाजुक हो गई । वह जिंदगी और मौत के बीच में लड़ रहे हैं। वसुधा यह सब सुनकर बहुत दुखी होती है और हाल-चाल पूछने को बहुत ज्यादा बेकरार होती है और कहती है कि, आप बताइए वह किस अस्पताल में है मैं उनसे मिलने आउंगी। लेकिन सारिका मना कर देती और कहती है कि, तेरी शक्ल देख कर यहां पर सब की हालत और खराब हो जाएगी। फिर फोन काट देती है।बाद में जब वसुधा कॉल करती है तब वह वसुधा के नंबर को को ब्लॉक कर दिया। जो कि,आवी अभी को नहीं पता होता है। बाद में जब देव के पिताजी कहते हैं कि, जब तक देव और वसुधा नहीं आएंगे। तब तक वह सर्जरी नहीं करवाएंगे तब चंद्रिका के को मजबूरन देव को बुलाना पड़ता है।
देव और वसुधा पहुंचे अस्पताल
चंद्रिका आवी से देव और वसुधा को बुलाने के लिए कहती है। मगर सारिका वही तुरंत बोल देती है कि, मैंने वसुधा को सब कुछ बताया लकिन वुसधा ने यहां पर आने से मना कर दिया है। वह घमंडी हो गई है अब वह चाहती है कि, चंद्रिका उसके पास जाए और उसके आगे हाथ पैर जोड़। फिर वह देव को आने देगी। जिस पर चंद्रिका कहती है कि, या हो ही नहीं सकता वसुधा कितना भी बडी गलती कर ले मगर वह इस घर का बुरा कभी भी नहीं सोच सकती है। जिस पर सारिका के कहती है कि, आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है। लेकिन यही बात है । जिसके बाद चंद्रिका खुद ही देव और वासुधा को लेने के लिए जाती है। जहां पर वसुधा को चंद्रिका मिल जाती है।चंद्रिका पूछती है कि,क्या तुम्हें पता था कि, दवे के पिता अस्पताल में है। तब वसुधा कहती है कि,हां मुझे पता है कि, बड़े हुकुम अस्पताल में भर्ती है। तब चंद्रिका को गलतफहमी हो जाती है कि, सारिका सही बोल रही थी। वुसधा चंद्रिका को सब कुछ समझाने की कोशिश करती है कि, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। बल्कि उन्होंने मुझे ऐसा बोला लेकिन चंद्रिका उसकी बातो पर विश्वास नहीं करती और कहती है कि, मुझे तुम्हारी सफाई नहीं सुननी है बस देव को हमें ले जाने दो। हम तुम्हारे के हाथ जोड़ते हमारे पति की जान का सवाल है। तब वसुधा शर्मिंदा होकर कहती है कि, ऐसा कहकर मुझे आप छोटा मत कीजिए। देव आपका बेटा है आपको मुझसे पूछने की जरूरत नही है। वसुधा बताती है कि,देव का इंतजार में खुद कर रही हूं। जब मुझे देव मिलेंगे मैं खुद लेकर आ जाऊंगी। तब चंद्रिका चली जाती है।अस्पताल में जाकर चंद्रिका कहती है कि, सारिका सही बोल रही थी। वसुधा बहुत ही ज्यादा बदल चुकी है। लेकिन वहां पर आवी और दिव्या इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं। तब चंद्रिका अपने पति से बोलती है कि, वह दोनों नहीं आने वाले आप ऑपरेशन करवा लीजिए । लेकिन देव के पिता बोलते हैं कि, जब तक वह दोनों नहीं आएंगे। तब तक मैं ऑपरेशन नहीं करवाऊंगा। लेकिन तभी देव वहां आ जाता है जिसके बाद ऑपरेशन होने की तैयारी होने लगती है। एक तरफ चंद्रिका इन दोनो से बहुत गुस्सा होती है। इसलिए इन लोगों का चेहरा भी नहीं देखती है। तभी देव के पिता कहते हैं कि, मेरी बहू को लेकर आओ, तब देव वसुधा को लेकर आता है। तब ऑपरेशन होने लगता है।

