प्रेम और सच्ची भक्ति के भाव से होंगे भगवान प्रसन्न,ॐ नमः शिवाय" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
लोगो के द्वारा पूजा — पाठ बहुत ही ज्यादा किया जाता है। पूजा —पूजा को करते समय बहुत सारी बातो का ख्याल रखना पडता है। हमारे हिन्दू समाज के अनुसार पूजा को करते समय कई सारे सख्त नियम बनाए जाते है जो कि,हर एक को पालन करना होता है वरना मान्याताओ के अनुसार,उस पर भगवान बुरी नजर डाल देते है। बहुत सारे पढे — लिखे लोग अपनी पढाई के घंमड में इतना ज्यादा खोए रहते है
lcuknow
5:54 PM, Nov 3, 2025
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उत्तर प्रदेश। लोगो के द्वारा पूजा — पाठ बहुत ही ज्यादा किया जाता है। पूजा —पूजा को करते समय बहुत सारी बातो का ख्याल रखना पडता है। हमारे हिन्दू समाज के अनुसार पूजा को करते समय कई सारे सख्त नियम बनाए जाते है जो कि,हर एक को पालन करना होता है वरना मान्याताओ के अनुसार,उस पर भगवान बुरी नजर डाल देते है। बहुत सारे पढे — लिखे लोग अपनी पढाई के घंमड में इतना ज्यादा खोए रहते है कि,उनको कितबो के अलावा,कोई भी ज्ञान अन्धविश्वास लगता है। लेकिन इस दुनिया मे हर एक चीज होती है जहां पर भगवान है वही दूसरी ओर शैतान भी है। सच्चाई है तो बुराई भी है।
पूजा — पाठ करते समय किन नियमो को करना चहिए पालन ?
पूजा-पाठ करते समय कई प्रकार के नियमो को पालन करना चहिए जैसे कि,नहा धोकर, स्वच्छ और साफ कपड़े पहनकर ही पूजा करनी चहिए। पूजा करने से पहले माथे पर तिलक लगाएं और पूजा सामग्री, धूप, दीया और अगरबत्ती को अपने दाईं ओर रखें उचित होता है। पूजा के लिए कुश या कंबल का आसन शुद्ध माना जाता है।दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए।जिस अगरबत्ती में बांस की डंडी हो, उसका प्रयोग पूजा में नही करना चहिए। उसकी जगह धूपबत्ती का इस्तेमाल करें। किसी भी पूजा की शुरुआत में गणेश जी को प्रणाम करना चहिए और जप करते समय जीभ या होंठ को न हिलाएं।पूजा के बाद शंख या घंटी बजाना शुभ माना जाता है, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।पूजा के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेते समय दाहिने पैर को दाएं हाथ से छूकर प्रणाम करें।पत्नी को दाएं भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं संपन्न करें। इसके अलावा कुछ ध्यान रखने वाली बता होती है जैसे कि,रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति और संध्याकाल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।शिवलिंग पर केतकी का फूल न चढ़ाएं और सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य न दें।किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं।घर के मंदिर में खंडित मूर्तियों को नहीं रखना चाहिए, उन्हें पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
पूजा — पाठ करते समय क्या नही करना चहिए ?
पूजा-पाठ करते समय किसी भी देवता का अनादर न करें, और खासकर भगवान शंकर को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए।भगवान शंकर को केतकी, विष्णु को तुलसी, और गणेश जी को दूर्वा के अलावा अन्य फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।पूजा करते समय एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए।दीपक से दूसरा दीपक या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। दीपक को माचिस या अन्य किसी चीज से ही जलाना चाहिए।कभी भी अशुद्ध या बासी फूल भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए।पूजा करते समय कभी भी खाली जमीन पर नहीं बैठना चाहिए, बल्कि आसन बिछाकर ही बैठना चाहिए।पूजा समाप्त होने के बाद शंख और घंटी को बजाना अच्छा माना जाता है, लेकिन पूजा के दौरान नहीं।पूजा शुरू करने से पहले माथे पर तिलक लगाना चाहिए। पूजा करने से पहले हमेशा स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें।पूजा करते समय अपने मन को शांत रखें और क्रोध या द्वेष नहीं करें।पूजा शुरू करने से पहले माथे पर तिलक लगाएं।पूजा भले ही कम समय के लिए करें, लेकिन एकाग्र मन से करें।पूजा के बाद शंख और घंटी बजाने से नकारात्मकता दूर होती है।पूजा के अंत में आरती और भूल-चूक के लिए माफी जरूर मांगें। इससे भगवान को आपकी भक्ति और ज्याद प्रभावित करती है।
कौन — सा उपाय करने से आपको मिलेगी भगवान की कृपा ?
गवान की कृपा पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें भगवान की नियमित पूजा करना, जैसे कि भजन, कीर्तन और आरती करना , प्रतिदिन मंत्रों का जाप करना शमिल है।कलयुग में भगवान के नाम का जप करना सबसे सरल और प्रभावी तरीका माना गया है। ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास और समर्पण रखना, और अपनी इच्छाओं को पूरी तरह उन पर छोड़ देना।मन को ईश्वर में लगाना और मानस पूजा करना। गीता के अनुसार, निष्काम भाव से किए गए कर्म बंधन नहीं बनाते और मोक्ष प्राप्ति में मदद करते हैं।दूसरों की सेवा करना, जैसे भूखे को भोजन, प्यासे को पानी देना।समाज और जरूरतमंदों की मदद करना। प्रेम और करुणा का भाव रखना, क्योंकि ये भगवान को महसूस करने का आसान तरीका है।वेदों, उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त करना। संयम और सदाचार का पालन करना चहिए।

