देवो के देव महादेव के दर्शन को पा कर भक्तो के चेहरे पर खिली खुशी...
शिव भक्ति का सावन से जुडाव प्राचीन सनातन परम्परा के साथ आज भी बना हुआ है। द्वादस ज्योर्तिलिंगों के अतरिक्त भी शिव के अनेकों मंदिर और शिवाले है जहां पर भगवान भोलेनाथ अनेको स्वरुपों में विद्वयमान है। जहां पर साल भर तो उनकी पूजा अर्चना होती ही है लेकिन सावन में शिव भक्ति का महत्व बढ जाता है।
UTTAR PRADESH
5:33 AM, Jul 24, 2025
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सावन में भक्तो की लगी लंबी भीड फोटो सौ - REx भारत ।
उत्तर प्रदेश।लखनऊ।शिव भक्ति का सावन से जुडाव प्राचीन सनातन परम्परा के साथ आज भी बना हुआ है। द्वादस ज्योर्तिलिंगों के अतरिक्त भी शिव के अनेकों मंदिर और शिवाले है जहां पर भगवान भोलेनाथ अनेको स्वरुपों में विद्वयमान है। जहां पर साल भर तो उनकी पूजा अर्चना होती ही है लेकिन सावन में शिव भक्ति का महत्व बढ जाता है। पूरे सावन मास शिव भक्ति, उपवास,पूजा और ध्यान करते है। सभी मनसा,वाचा कर्मणा सोेमवार का व्रत करते है। जिस प्रकार से ज्येष्ठ मास में हनुमान जी की उपासना होती है ठीक उसी राह पर शिव के भक्त देवाधि देव महादेव का प्रसंन्न करने के तरह तरह के उपाय करते है।
कहीं रुद्राभिषेक तो कहीं ओम नम:शिवाय का जाप
शिव मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सावन के मौके पर 24 घंटे के ओम नम:शिवाय का अनन्त जाप के साथ भक्त रु्द्राभिषेक का आयोजन करके भगवान शिव का आशिर्वाद पाने का प्रयास करते है। इस मौके पर भंडारे,भोज और शिव भक्ति से भरपूर शिव भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कई प्राचीन मंदिरों पर परम्परा के अनुसार शिव बारात भी निकाली जाती है। शिव से जुडे प्रसंगों पर शिवलीला का आयोजन आज भी उन
भक्ती की लहर चल रही चारो ओर
भगवान शिव मंदिर मे हजारो लाखों भक्त पूजा के लिए पहुंचते है और सुबह से एक लाइन बन जाती है भगवान शिव के दर्शन के लिए बडी श्रध्दा से कांवर शिव मदिर को ले जाते है और शिव मंदिर मे अर्पित करते है।सावन मे शिवलिगं पर जल अर्पण करना दूध चावल, धतुरा और भागं, फुल को चढाया जाता है मंदिरो मे भगवान शिव की आरती व किर्तन करते है और जगह जगह पर भगवान शिव का मेला भी लगता है।
सावन में मांस मछली खाना होता है मना
लोगो की मान्यता है की सावन का मौसम बहुत ही सुहान दिखता है चारो तरफ हारयाली छायी रहती है अधिकतर गांव के बागों मे झुले पडते होते है। और गांव मे आज भी सावन मे मांस मछली नही खाते है उनकी मान्यता है की भगवान शिव मंदिर जा कर शिवलिगं पर जल अभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते है।कहते है कि ,शिव जी पूजा करने के बाद अगर नंदी महाराज की पूजा करने से ही पूजा पूरी मानी जाती हैं। भक्तो की अस्था होती है कि,नंदी महराज के कान में कोई इच्छा मागने से भगवान शिव तक प्रार्थना पहुँचती हैं।