सच्चे और नकली प्यार के बीच का अंतर में कैसे होगा फर्क,देखिए आपकी जरूरत
लोगो के मन में हमेशा एक ही सवाल परेशान करता है। लोग अपने सच्चे प्यार की खोज में हमेशा भटकते रहते है। लेकिन उनको यह तो पता ही नही है कि,प्यार खोजा नही जाात है। वो हमेशा हमारे पास ही होता है। सच्चा प्यार हर किसी को इनती जल्दी नही मिलता है। मगर जब मिलता है। तब वो हमेशा आपका साथ देता है। प्यार को स्वर्थ और मतलब से नही होना चहिए। सच्चा प्यार तो वही होता है। जब आपको वैसे ही कुबुल करे जैसे कि,आप है।
lucknow
2:22 PM, Sep 4, 2025
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उत्तर प्रदेश। लोगो के मन में हमेशा एक ही सवाल परेशान करता है। लोग अपने सच्चे प्यार की खोज में हमेशा भटकते रहते है। लेकिन उनको यह तो पता ही नही है कि,प्यार खोजा नही जाात है। वो हमेशा हमारे पास ही होता है। सच्चा प्यार हर किसी को इनती जल्दी नही मिलता है। मगर जब मिलता है। तब वो हमेशा आपका साथ देता है। प्यार को स्वर्थ और मतलब से नही होना चहिए। सच्चा प्यार तो वही होता है। जब आपको वैसे ही कुबुल करे जैसे कि,आप है। वो आपको हर एक कदम पर साथ दे। सारी दुनिया आपके खिलाफ हो जाए या फिर आपके पास कुछ भी नही बचा हो। तभी भी वो आपके पास खडा हो। आप उससे बार — बार कहे कि,आपको उसकी जरूरत नही है। लेकिन वो आपकी दिल की बात को सुनकर आपका साथ कभी नही छोडे। तो समझ जाना कि,यही आपका सच्चा प्यार है।
विश्वास ही दो दिलो को जोडे रखता है चाहे वो दूर ही क्यो न हो
सच्चे प्यार में परस्पर सम्मान, बिना शर्त का भावनात्मक जुड़ाव, विश्वास, ईमानदारी और एक-दूसरे की खुशी को अपनी खुशी से बढ़कर महत्व देना होता है। इसमें साथी को उसकी कमियों के साथ स्वीकार करना, मुश्किल समय में सहारा देना, और आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करना होता है। सच्चा प्यार त्याग, वफादारी और भावनात्मक स्थिरता देता है। जहाँ साथी एक-दूसरे की बातों को सुनते हैं और जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन अगर आपका साथी आपके साथ यह सब कुछ नही करता है। तो आपको उसको तुरंत छोड देना चहिए। क्योकि,अगर आपसे कोई सच्चे दिल से प्यार करता होगा। तो वो ऐसा कोई कार्य नही करेगा। जिससें आपके दिल को ठेस पहुंचे। जो सच्चा प्यार करता है वो हमेशा अपने साथ को खुश देखना चाहता है। वो ऐसा कुछ नही करता है। जिससे आपको दुख हो।
आपका साथी भी आपको अनदेखा करता है तो वो नही सच्चा प्यार
झूठा प्यार हमेशा आपको अंदर से कमजोर करता है। वो आपको हमेशा इस्तेमाल करता है। जिसे नकली प्यार भी कहा जाता है। जो मतलब,दिखावा और स्वार्थ से जुडा होता है। नकली वह प्रेम है जिसमें व्यक्ति की ओर से भावनाओं या इरादों की कमी होती है। जो व्यक्ति नकली प्यार करता है वो केवल दिखावा, स्वार्थ या किसी प्रकार की अपेक्षा रखता है। नकली वाला प्यार सिर्फ़ शारीरिक आकर्षण, पैसे, या दिखावट पर आधारित होता है। जहाँ व्यक्ति केवल अपने हित साधने के लिए स्नेह दिखाता है। असली प्यार के विपरीत, नकली प्यार में व्यक्ति का व्यवहार असंगत होता है। वह प्रतिबद्धता से कतराता है, और भावनाओं में हेरफेर करता है। क्योकि,सच्चा प्यार कभी भी आपको दुखी नही देख सकता है। प्यार में कुछ पाने की इच्छा रखना सच्चा प्यार नही होता है।
सच्चे और नकली प्यार में क्या होता है अंतर
सच्चे और नकली प्यार में जमीन और आसमान का अंतर होता है। सच्चा प्यार निस्वार्थ, ईमानदार, और समर्पित होता है। यह एक-दूसरे के लक्ष्यों का समर्थन करता है और मुश्किल समय में साथ देता है। जिससे पूरा और सुरक्षित महसूस होता है। वही दूसरी ओर नकली प्यार स्वार्थी होता है। अक्सर शारीरिक आकर्षण या फायदे पर आधारित होता है। जिसमें दिखावा होता है और वादाखिलाफी होती है। खासतौर पर नकली प्यार में एक खालीपन या असुरक्षा बना रहता है। आपको लगता है कि,आपका साथी आपके साथ होकर भी नही है। वही दूसरी ओर सच्चा प्यार हमेशा आपके पास ही रहता है। चाहे वो किसी वजह से वो आपसे दूर हो जाए । लेकिन वो आपको सुरक्षित महसूस कराता है।