विजयादशमी का महत्व जानना है बहुत जरूरी,बुराई पर होती है हमेशा सच्चाई की जीत,जय श्री राम।
विजयादशमी को भारत और नेपाल सहित कई देशों में मनाया जाता है। जिसमें भारत के लगभग सभी राज्यों में खुशी और उमंग के साथ इसे मनाया जाता है। यह पर्व भारत, भूटान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी मनाया जाता है। जहां भारतीय समुदाय के लोग धार्मिक और सामाजिक उत्सव में भाग लेते हैं। लोगो के द्वारा विजयादशमी को लेकर बहुत ही उत्साह देखने को मिलता है।
lucknow
3:27 PM, Oct 2, 2025
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SKETCH BY- GOOGLE
उत्तर प्रदेश। विजयादशमी को भारत और नेपाल सहित कई देशों में मनाया जाता है। जिसमें भारत के लगभग सभी राज्यों में खुशी और उमंग के साथ इसे मनाया जाता है। यह पर्व भारत, भूटान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी मनाया जाता है। जहां भारतीय समुदाय के लोग धार्मिक और सामाजिक उत्सव में भाग लेते हैं। लोगो के द्वारा विजयादशमी को लेकर बहुत ही उत्साह देखने को मिलता है। कई जगहो पर लोगो के द्वारा विजयादशमी को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार लोगो के चेहरो पर खुशी की लहर को चलाता है।
किस का प्रतीक माना जाता है दशहरा
विजयादशमी या दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। जो भगवान राम की रावण पर और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का स्मरण दिलाता है। यह पर्व हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने, अहंकार और विकारों को त्यागने तथा अपने भीतर की बुराइयों पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। मान्याताओ के अनुसार,हिन्दू धर्म विजयादशमी का बहुत ही महत्व होता है। लोगो के द्वारा इस पर्व पर बहुत सारी चीजे की जाती है।
लोगो के द्वारा क्या किया जाता है इस दिन
लोगो के द्वारा विजयादशमी के दिन प्रातः स्नान के बाद घर के देवस्थान को सजाकर भगवान श्रीराम और माता दुर्गा की पूजा की जाती है। लोग माँ दुर्गा को लाल पुष्प, चुनरी, श्रृंगार की वस्तुएँ और नारियल अर्पित करते है क्योकि,यह सब कुछ शुभ माना जाता है। भगवान श्रीराम की पूजा कर उनके जीवन की आदर्श कथाओं का स्मरण भी किया जाता है। इस दिन लोगो को सीख मिलती है कि,बुराई चाहे जितनी भी शक्तिशाली हो मगर हमेशा बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है।
क्या — क्या होता है इस दिन
विजयादशमी के दिन स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण मेघनाद कुभंकरण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है और शस्त्र पूजन की तिथि है।