पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित दस हजार परिवारों को यूपी में मिलेगा भूमि स्वामित्व—सीएम योगी
सीएम योगी ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से विस्थापित होकर राज्य के विभिन्न जिलों में बसाए गए परिवारों को कानूनन भूमि अधिकार देने को लेकर ठोस कार्यवाही का निर्देश दिया है। उन्होने कहा कि,यह केवल भूमि के हस्तांतरण का मामला नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों के जीवन संघर्ष को सम्मान देने का अवसर है, जिन्होंने देश की सीमाओं के उस पार से भारत में शरण ली और दशकों से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन परिवारों के साथ संवेदना के साथ-साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए। यह उप्र शासन की नैतिक जिम्मेदारी है।
UTTAR PRADESH
12:27 PM, Jul 21, 2025
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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सौ0 RExभारत
उत्तर प्रदेश।लखनऊ। सीएम योगी ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से विस्थापित होकर राज्य के विभिन्न जिलों में बसाए गए परिवारों को कानूनन भूमि अधिकार देने को लेकर ठोस कार्यवाही का निर्देश दिया है। उन्होने कहा कि,यह केवल भूमि के हस्तांतरण का मामला नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों के जीवन संघर्ष को सम्मान देने का अवसर है, जिन्होंने देश की सीमाओं के उस पार से भारत में शरण ली और दशकों से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन परिवारों के साथ संवेदना के साथ-साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए। यह उप्र शासन की नैतिक जिम्मेदारी है।
विभाजन के पश्चात 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए हजारों परिवारों को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जनपदों में लगभग दस हजार विस्थापितों को बसाया गया था। शुरुआत के वर्षों में इन परिवारों को ट्रांजिट कैंपों के माध्यम से विभिन्न गांवों में बसाया गया और भूमि आवंटन भी किया गया,किंतु कानूनी और अभिलेखीय विसंगतियों के चलते अधिकांश को आज तक वैधानिक भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सके हैं।
परिवारों को दी गयी थी खेती की जमीन
सीएम योगी ने बताया कि, कृषि भूमि भी आवंटित की गई थी। हालांकि,समय के साथ अभिलेखीय त्रुटियाँ,भूमि का वन विभाग के नाम दर्ज होना,नामांतरण की प्रक्रिया लंबित रहना अथवा भूमि पर वास्तविक कब्जा न होने जैसी कई प्रशासनिक व कानूनी जटिलताओं के चलते इन परिवारों को अब तक कानूनन भूस्वामित्व अधिकार प्राप्त नहीं हो सके हैं। कुछ स्थानों पर अन्य राज्यों से आए विस्थापित भी बसाए गए हैं, जो आज भी भूमि स्वामित्व से वंचित हैं।
भूमि अधिकार सम्बधित नए विक्ल्प की तलाश करें
जिन मामलों में पूर्व में भूमि का आवंटन गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट के तहत हुआ था, उन्हें ध्यान में रखते हुए वर्तमान विधिक ढांचे में नए विकल्प तलाशे जाएं, क्योंकि यह अधिनियम 2018 में निरस्त किया जा चुका है।यह संवेदनशील प्रयास दशकों से उपेक्षित विस्थापित परिवारों के लिए एक नई उम्मीद और गरिमापूर्ण जीवन का द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है। इसे केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि "सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय जिम्मेदारी" के रूप में देखना चाहिए।