भक्तो की मुराद हुई पूरी शनिदेव को प्रसन्न करने के सही उपाय,कर्म और न्याय के देवता
शनि देव हिंदू धर्म में कर्म के देवता और न्याय के देवता हैं, जो सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं। उन्हें ग्रहों में स्थान मिला है और वह व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जिससे कुछ लोग उन्हें अशुभ मानते हैं। शनिदेव की कृपा को पाने के लिए लोगो के द्वारा कई प्रकार के उपायो को किया जाता है। क्योकि,शनिदेव को कर्मफलदाता माना जाता है। लोगो सारे कर्मो को फल शनिदेव ही देते है।
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12:04 PM, Oct 11, 2025
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SKETCH BY- GOOGLE
उत्तर प्रदेश।शनि देव हिंदू धर्म में कर्म के देवता और न्याय के देवता हैं, जो सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं। उन्हें ग्रहों में स्थान मिला है और वह व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जिससे कुछ लोग उन्हें अशुभ मानते हैं। शनिदेव की कृपा को पाने के लिए लोगो के द्वारा कई प्रकार के उपायो को किया जाता है। क्योकि,शनिदेव को कर्मफलदाता माना जाता है। लोगो सारे कर्मो को फल शनिदेव ही देते है। लोगो के द्वारा किए हर एक कर्म पर शनिदेव की हमेशा नजर होती है। वो लोगो के अच्छे हो या फिर बुरे हो सारे कर्मो का हिसाब को लेखा — लिख कर रखते है और समय आने पर बिना किसी भेदभाव के लोगो को उनके किए अनुसार कर्मो का फल देते है।
कैसे करे सही ढंग से पूजा — पाठ
भक्तो को शनि देव की पूजा शनिवार को सूर्यास्त के बाद करनी चहिए क्योकि, शुभ होता है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके, फिर शनिदेव की मूर्ति या चित्र पर तेल, फूल और माला अर्पित करना चहिए। शनिदेव को पंचामृत से स्नान कराएं, फल-मिठाई का भोग लगाएं और तिल के तेल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पूजा के दौरान शनिदेव के मंत्रों का जाप करें और आरती के बाद पूजा का समापन करना चहिए।
कैसे पाए शनिदेव की कृपा
लोगो को शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करके सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और इसके साथ ही शनि मंत्र ('ॐ शं शनैश्चराय नमः') का जाप करना चाहिए। जरूरतमंदों को दान देना चाहिए और हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। जैसे हनुमान चालीसा का पाठ करना। इसके अलावा, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, काली उड़द दाल और काले वस्त्र दान करना भी शुभ माना जाता है।
शनि देव की दृष्टि को शुभ या अशुभ
शनि देव की दृष्टि को शुभ और अशुभ दोनों माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों और ज्योतिषीय स्थिति पर निर्भर करता है। शुभ दृष्टि से व्यक्ति को सफलता, परिपक्वता और दीर्घकालिक लाभ मिलता है। वही दूसरी ओर अशुभ दृष्टि से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि बाधाएं, तनाव और चिंता शमिल है।