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मनोरंजन/न्यूज़/vasudha and dev s marriage is going to happen by erasing the difference between rich and poor but what will be the consequences of dev s lie

अमीरी - गरीबी के अंतर को मिटाकर होने जा रही वसुधा और देव की शादी,लेकिन देव के झूठ का क्या होगा अंजाम !

वसुधा सीरियल देव और वसुधा के जीवन में बहुत सारी समस्या आने के बाद अब इन दोनो की शादी होने जा रही है। वसुधा के पिता हनुमंत को जब वसुधा और देव के रिश्ते के बारे में पता चला था। हनुमंत ने वसुधा को जान से मारने की योजना बनाई थी। ताकि,उसकी इमानदारी पर कोई उंगाली न उठा सके। क्योकि,हनुमंत जनता है कि,देव चंद्रिका का बेटा है और वो वसुधा का अपनी बहू के रूप में स्वीकार नही करेगी।

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5:09 PM, Oct 9, 2025

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 अमीरी - गरीबी के अंतर को मिटाकर होने जा रही वसुधा और देव की शादी,लेकिन देव के झूठ का क्या होगा अंजाम !
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उत्तर प्रदेश। वसुधा सीरियल देव और वसुधा के जीवन में बहुत सारी समस्या आने के बाद अब इन दोनो की शादी होने जा रही है। वसुधा के पिता हनुमंत को जब वसुधा और देव के रिश्ते के बारे में पता चला था। हनुमंत ने वसुधा को जान से मारने की योजना बनाई थी। ताकि,उसकी इमानदारी पर कोई उंगाली न उठा सके। क्योकि,हनुमंत जनता है कि,देव चंद्रिका का बेटा है और वो वसुधा का अपनी बहू के रूप में स्वीकार नही करेगी। इसीलिए हनुमंत वसुधा के जन्मदिन वाले दिन वसुधा को जहर देकर मारने की कोशिश करता है। वसुधा को यह बात पहले से ही मालूम थी। फिर भी वो किसी से कुछ नही कहती है और खुशी — खुशी अपने पिता के ​हाथो से जहर वाली खीर खा लेती है।

हनुमंत ने की वसुधा को मारने की साजिश

देव जब वसुधा का कॉल करता है। हनुमंत उसको देव का कॉल उठाने नही देता है। हनुमंत वसुधा को पहले दुल्हन की तरह तैयार करता है। क्योकि,वो जानता था कि,वसुधा देव का अपना पति मानती है। वसुधा को सब पता होता है। फिर भी वो चुप — चाप अपने पिता के साथ चली जाती है। देव वसुधा के लिए बहुत ही परेशान हो रहा होता है। तभी वहां पर सावित्री भगवान से वसुधा के लिए प्रार्थना कर रही होती है। वसुधा के साथ जो हो रहा है वो ठीक नही है। तभी वहां पर देव सारी बात सुन लेते है। देव सावित्री से सबकुछ सच बताने के लिए कहता है। जिसके बाद सावित्री देव को बता देती है कि, हनुमंत को देव और वसुधा के रिश्ते के बारे में सबकुछ पता चल गया है।

वसुधा जहर वाली खीर जानबूझ — कर खाती

हनुमंत के साथ वसुधा होती है। जिस पर देव कहता है कि,वसुधा के साथ कुछ तो गलत होने वाला है। मुझे जल्दी से जाकर उसकी रक्षा करनी होगी। वहां पर वसुधा के पिता उसक प्रसाद के तौर पर मिली खीर में जहर मिलाकर ​खिला देते है। वसुधा को मालूम होने के बाद भी वो खीर खा लेती है। जिसके बाद हनुमंत उससे कहता है कि,तुने पाप किया है जिसकी सजा तुझे मिली है। वसुधा कहती है कि,मुझे पहले से पता है कि,आप मुझे मारने के​ लिए अपने साथ लेकर आए है। फिर वसुधा गिरने लगती है। लेकिन वहां देव आकर उसको पकडा लेता है। वसुधा की हालत को देखते ही वो उसको इलाज के लिए अस्पताल ले जाता है।

वसुधा की हालत बहुत ही नाजुक

वसुधा को अस्पताल मेे डाक्टरो के द्वारा देखा जाता है। जहां पर डाक्टरो के द्वारा बताया जाता है कि,वसुधा की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है। जहर उसके पूरे शरीर में फैल चुका है। देव वसुधा की जान को बचाने के लिए नवरात्रि के समय में माता रानी से प्रार्थना करने के लिए जाता है। जहां पर वो डोल बजाकर वसुधा की जान की भिखा मांगता है। वसुधा जिन्दगी और मौत के बीच लड रही होती है। लेकिन देव की पुकार से वसुधा की जान बच जाती है। उसके बाद देव बहुत ही खुश होता है। वही दूसरी ओर देव हनुमंत पर बहुत ही गुस्सा करता है कि,आपकी हिम्मत कैसी हुई कि,चौहान घर की होने वाली बहू को जान से मारने की ।

वसुधा से हनुमंत बहुत ही ज्यादा नाराज

वसुधा के पिता उससे बहुत ज्यादा नाराज होते है। वो उसको मालकिन कहकर पुकारते है। बोलते है कि,जो मेरी बेटी थी। उसको मैने मार दिया है। आप तो देव सर की अमानत है। चौहान घर की बहू है। जिस पर वसुधा कहती है कि,यह सब आप क्या कह रहे है। लेकिन हनुमंत अपनी पर ही रहता है। वसुधा कहती है कि,आप जो कहेगे मैं वो करूंगी । लेकिन आप मुझे इस तरह से बात मत कीजिए। तब हनुमंत वसुधा से कहता है कि,अगर तुम चाहती हो कि, मै तुम्हारा पिता बानकर ही तुम से बात करू,तो तुूमको मेरे साथ हमेशा चौहान घर छोड कर जाना होगा। वसुधा मान जाती है।

हनुमंत ने चाहौन घर को छोडने का किया फैसला

चौहान घर को हनुमंत और वसुधा छोडकर जा ही रहे होते है। मगर तभी वहां पर पूरा चौहान घर आ जाता है। सब मिलकर रोकने की बहुत ही कोशिश करते है। लेकिन हनुमंत वसुधा को लेकर चला जाता है। देव को जब यह बात पता चलती है। तब वो बहुत टूट जाता है। वो कहता है कि,मेरा प्यार हार गया। तब आवी कहता है जाओ दादा वसुधा को लेकर आओ। देव कहता है कि,किस हक से लेकर आओ वसुधा को उसके पिता अपने साथ ले गए है। जब आवी बता देता है कि,वो जो नाटक वाली शादी हुई थी तब से ही वसुधा आपको पति मानती है। आप पति होने के हक से जाईये।

देव ने शादी की बात को लेकर बोला झूठ

देव वसुधा और हनुमंत को रोकने के लिए जाता है और कहता है कि,आपका बहुत हो गया। अब आप मेरे साथ घर चलिए। हनुमंत कहता है हम लोग आपके साथ कही पर भी नही जाएंगे। तब देव कहता है कि,चंद्रिका हमारी शादी के लिए मान गयी है। तब हनुमंत को विश्वास नही होता है।लेकिन देव उसको बताता है कि,इस मां साह ने समरोह शादी में घर की शादी करवाने की का फैसला लिया है। तब हनुमंत और वसुधा चंद्रिका के सामने आते है। तब चंद्रिका कहती है कि,तुम वसुधा की चिंता मत करो वो अब हमारी जिम्मेदारी है। हनुमंत आगे कुछ बोल पता उसी से पहले चंद्रिका सबको शादी की तैयारी करने को बोल देती है। लेकिन असली मैं देव ने झूठ बोला होता है।

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