चने की दाल से क्या — क्या बना सकते है पकवान,सेहत को न करे नज़र अंदाज़
चने की दाल को लोगो के द्वारा घर के हर एक सदस्य को बहुत ही पसंद किया जाता है। चने की दाल को लोग कई प्रकार से इस्तेमाल करके स्वादिष्ट व्यंजन को बनाते है। चने की दाल बहुत ही ज्यादा खायी जाती है। लेकिन सोचने वाली बात तो यह होगी कि,चने की दाल को लोग खाते तो रोज है। लेकिन उनको अगर चना की दाल के फायदे और नुकसान पूछा, तो बहुत सारे लोगो को पता ही नही होता है।
lucknow
3:49 PM, Oct 5, 2025
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SKETCH BY - GOOGLE
उत्तर प्रदेश। चने की दाल को लोगो के द्वारा घर के हर एक सदस्य को बहुत ही पसंद किया जाता है। चने की दाल को लोग कई प्रकार से इस्तेमाल करके स्वादिष्ट व्यंजन को बनाते है। चने की दाल बहुत ही ज्यादा खायी जाती है। लेकिन सोचने वाली बात तो यह होगी कि,चने की दाल को लोग खाते तो रोज है। लेकिन उनको अगर चना की दाल के फायदे और नुकसान पूछा, तो बहुत सारे लोगो को पता ही नही होता है। इसीलिए हम आपको चने की दाल से जुडी सारी बातो के बारे में बताएंगे।
क्या — क्या बनाए जाते है स्वादिष्ट व्यंजन
लोगो के द्वारा चने की दाल की दाल से बहुत सारी चीजे बनाई जाती है। आपको बताया जा रहा है कि, चने की दाल से विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं जैसे कि, चने की दाल की सब्जी, टिक्की, ढोकला, पैनकेक, और दाल फरा बनाया जाता है। जिसका उपयोग कई पकवानों में होता है। लोगो को चने की दाल के बने सारे पकवान बडे ही स्वादिष्ट लगते है और लोग बडे ही प्रेम के साथ पकवान का आंनद लेते है।
चने की दाल का सेवन करना आपके लिए कैसे फायदेमंद
घर पर लोग चने की दाल व्यंजन बनाकर खाते तो रोज है मगर इनको पता ही नही है कि,क्या लाभ होता है। इसीलिए ध्यान से सुनिए चने की दाल ऊर्जा प्रदान करती है और पाचन, त्वचा, बालों, दिल और वज़न घटाने जैसे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। चने की दाल प्रोटीन, फाइबर, आयरन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है। जो इसे मधुमेह रोगियों, एनीमिया और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए भी फायदेमंद बनाती है।
अधिक मात्रा में चने की दाल का सेवन करना होता है नुकसानदायक
चने की दाल का अधिक सेवन करने से गैस, सूजन और सीने में जलन का कारण बन सकता है। खासकर कमजोर पाचन तंत्र वाले लोगों में. यह पचने में भारी होती है। जिससे रात में इसका सेवन करने पर नींद आने में परेशानी हो सकती है और पाचन धीमा हो सकता है।गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों और गाउट के मरीजों को इसका सेवन सीमित मात्रा में या नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह उनके लिए भारी हो सकती है या यूरिक एसिड बढ़ा सकती है।