उत्तर प्रदेश/लखनऊ घोड़े के बल तथा नैसर्गिक संरचना को देख कर ही हार्स पावर की संकल्पना का जन्म हुआ हैं। घोड़ा एक ऐसा प्राणी है। जो कभी भी थकता नही और ऐसा भी नही कि, घोडा कभी बैठता या सोता ही नही हैं। इस धरती पर मौजूद हर प्राणी की नींद आवश्यकता है। जो शरीर को जितनी मेहनत करता है उसे उतनी ही नींद की आवश्कता है। उसी तरह घोडा
भी उर्जावान और ताकतवर प्राणी माना जाता हैं। घोडे पूरे दिन में केवल 20 से 25 मिनट ही सोते हैं। उन्हे इससे अधिक नींद की आवश्यकता महसूस नही होती हैं। हैरानी कि,बात ये है कि, घोडे इस थोडी सी नींद को भी वो छोटे — छोटे टुकड़ों में ले लेता हैं।
हमेशा रहते है चौंकने
घोडा हमेंशा तैयार स्थिति में ही रहते हैं। इसके लिए उसके पैरों की मांसपेशियाँ और शारीरक बनावट भी कारगार साबित होती हैं। घोड़े के पैर बिल्कुल तने हुए होते है। जो उसे हर परिस्थिती में सहायता करते हैं । जब वह सोता हैं तब उसे गिरने नही देते। एक समय में घोड़ा कुछ मिनट की नींद लेता है। घोडा क्यों की सचेत प्राणी हैं। यदी वो बैठता हैं तो उसे सांस लेने तथा खड़े होने में दिक्कत होती हैं। इसीलिए वो हमेशा खड़ा रहता है।
कभी.कभी बैठता हैं घोड़ा
ऐसा भी नही है की घोडा कभी बैठता नही। लेकिन जब बैठता हैं तब वह बीमार या कमजोर होता हैं। तभी वह कुछ समय को बैठता हैं। इसलिए जब तक घोडा खड़ा रहता हैं तो उसे स्वस्थ माना जाता है। अथवा यदी वह बैठा रहेगा तो उसके फेफड़े पुरी ऑक्सीजन को नही ग्रहण कर है। जो घोडे के लिए घातक बन जाता हैं। इसलिये उसका खडा रहना ही उसके लिये फायदेमंद है।