उत्तर प्रदेश/लखनऊ के निजी अस्पतालों में लापरवाही और मरीज की मौतों के मामले लगातार बढ़े हैं। इसको देखते हुए सीएमओ लखनऊ की ओर से शहर और ग्रामीण क्षेत्र के नर्सिंग होम, निजी अस्पताल संचालकों को निर्देश जारी किए गए हैं। की वो बिना किसी पंजीकृत विशेषज्ञ के मरीज का ऑपरेशन आदि इलाज नहीं करेंगे। यदि किसी अस्पताल में ऐसी शिकायत मिलती है तो तुरंत ही उसे सील करने और एफआईआर तक दर्ज कराई जा सकती है। साथ ही सभी पीएचसी, सीएचसी प्रभारियों को भी निर्देश दिया गया है कि, वह अपने क्षेत्र के निजी अस्पतालों की मॉनीटरिंग करेंगे।
लाइसेंस निरस्त किया जाएगा
राजधानी में करीब एक हजार से अधिक निजी अस्पताल, नर्सिंग होम का संचालन किया जा रहा है। इन अस्पतालों में पंजीकृत विशेषज्ञ होने चाहिए। यदि अस्पताल में पंजीकृत विशेषज्ञ नहीं होंगे तो मरीज का इलाज या ऑपरेशन नहीं किया जाएगा। यदि किसी मरीज या तीमारदार की ओर से इस प्रकार की शिकायत मिलती है। साथ ही किसी प्रकार से बिना पंजीकृत डॉक्टर से अपने निजी अस्पताल में ऑपरेशन या इलाज कराने की सूचना मिलेगी तो अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही अस्पताल संचालक व आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
हट चुके डॉक्टर का पैनल से नाम हटवाएं
असाध्य बीमारी के मरीजों के इलाज पर अस्पताल को विशेष ध्यान देना होगा। अस्पताल पैनल में शामिल डॉक्टर या विशेषज्ञ ही मरीज का इलाज करेंगे। मरीज की फाइल पर डॉक्टर का नाम समेत सभी जानकारी स्पष्ट लिखी होनी चाहिए। साथ ही जो डॉक्टर निजी अस्पताल छोड़कर जा चुके हैं। उनकी सही सूचना सीएमओ ऑफिस को तुरंत साझा कर पैनल से नाम हटवाना होगा। नए डॉक्टर का नाम जुड़वाना होगा।आदेश दिया गया है कि अपने क्षेत्र में आने वाले सभी निजी अस्पतालों की मॉनीटरिंग करेंगे। शिकायत मिलने पर तुरंत सीएमओ कार्यालय को सूचित करेंगे। नियमों की अनदेखी होने पर अस्पताल संचालन पर रोक लगाई जाएगी।
राजधानी का यह हाल बिना डॉक्टर चल रहे निजी अस्पताल
राजधानी लखनऊ में बिना डॉक्टर के ही कई निजी अस्पताल चल रहे हैं। इनमें पूर्णकालिक डॉक्टर नहीं हैं। अन्य स्टाफ ही मरीजों का इलाज करता रहता है। शुक्रवार को सीएमओ की टीम ने पांच निजी अस्पतालों पर छापा मारा तो ये हकीकत सामने आई। पांच अस्पतालों में से महज एक में डॉक्टर मिला। मरीजों का इलाज स्टाफ कर रहा था।नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ. एपी सिंह व उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केडी मिश्रा ने शुक्रवार दोपहर ठाकुरगंज इलाके के द यूनिक हॉस्पिटल, बालागंज अस्पताल, स्टार हॉस्पिटल, मेडलाइफ हॉस्पिटल व ऑक्सीजन हॉस्पिटल में छापा मारा। बालागंज अस्पताल को छोड़कर किसी भी अस्पताल में पूर्णकालिक चिकित्सक नहीं मिला। किसी भी हॉस्पिटल में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं थी।
टीम ने पांचों अस्पतालों को नोटिस जारी किया
नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ. एपी सिंह के मुताबिक, एक अस्पताल को छोड़कर कहीं पर कुशल डॉक्टर नहीं मिले। स्टाफ मरीजों का इलाज कर रहा था। कई अन्य खामियां भी मिलीं।नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ. एपी सिंह के मुताबिक, एक अस्पताल को छोड़कर कहीं पर कुशल डॉक्टर नहीं मिले। स्टाफ मरीजों का इलाज कर रहा था। कई अन्य खामियां भी मिलीं।डेंगू मरीजों के इलाज में लापरवाही मिली। अफसरों का कहना है कि डेंगू के इलाज के लिए तय प्रोटोकाॅल का यहां उल्लंघन हो रहा था। बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी। मरीजों के अभिलेख अधूरे थे। फार्मेसी पर कोई भी पंजीकृत फार्मासिस्ट मौजूद नहीं था।एमबीबीएस डॉक्टर नहीं थाकोई पूर्णकालिक डॉक्टर नहीं था। रैंप अत्यंत फिसलनयुक्त था जिसमें सुधार की जरूरत है।
फर्रुखाबाद: निजी अस्पताल में चार गुना ज्यादा कीमत पर बिकते मिले इंजेक्शन
जिला औषधि निरीक्षक ने शनिवार को निजी अस्पतालों में चल रहे मेडिकल स्टोरों पर छापा मारा। इसमें एक मेडिकल स्टोर पर चार गुना प्रिंट रेट पर इंजेक्शन बिकता मिला, जबकि एक मेडिकल स्टोर बिना पंजीकरण के ही चलता पाया गया। जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय ने शासन से निर्धारित मानक चेक करने के लिए शहर के मसेनी चौराहा लकूला रोड स्थित कुलवंती हॉस्पिटल में संचालित वैभव मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया।