उत्तर प्रदेश/प्रयागराज मे दोपहर तीन बजे से मौनी अमावस्या का दूसरा अमृत स्नान शुरू हो गया है। अभी तक लगभग आठ करोड के आस पास लोग स्नान भी कर चुके है। ये आकड़ लगातार बढता चला जा रहा है। दूसरे अमृत काल के स्नान मे सबसे पहले जूना अखाड़े के नागा साधुओ ने स्नान किया। जिनकी संख्या हजारो मे थी। अब संगम के नोज पर उपस्थित श्रद्धालु स्नान कर रहे है। तो वही बड़ी संख्या मे श्रद्धालु घाट के किनारे अभी भी बैठ है कि शायद रात बारह बजे तक उन्हे स्नान करने का मौका मिल जाए।
आखिर पहले क्यो करते है नागा साधु अमृत स्नान?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नागा साधु भगवान शिव के भक्त हैं और उन्होंने उनकी तपस्या की है। इसलिए महाकुंभ में सबसे पहले उनका स्नान होता है। नागा साधुओं को पहले स्नान करने का अधिकार देने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। नागा साधुओ ने धर्म की रक्षा के लिए कई बार अपने प्राणों की आहुति दी है। नागा साधुओ के स्नान की ये परंपरा प्रचीन काल से चली आ रही है। नागा साध स्नान करने से पहले शरीर को शुद्ध करने के लिए तेल लगाते हैं और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
ऐसी भी है मान्यता
एक अलग मान्यता के मुताबिक, ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई, तो अन्य संतों ने आगे आकर धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया। चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया है।