उत्तर प्रदेश/लखनऊ। बिहार के पटना और बक्सर के घाट के साथ — साथ अब यूपी की राजधानी लखनऊ में भी छठ पूजा पर दीवाली से उल्लास नही होता है। यहां पर महापर्व छठ पूजा का आगाज हो चुका है। सात नवम्बर को बडे ही खुशनुमा माहौल के साथ इस महापर्व को मनाया जाएगा। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाए घाट पर छठी मईया की पूजा करती है। जिसको लेकर सबसे ज्यादा भीड़ होती है। भारत के बिहार से शुरु हुआ छठ पूजा पर्व अब विदेशो तक पहुंच चुका है जहां पर भारत की परम्मपरा का अनूठा पर्व उसी तरीके से मनाया जाता है जैसा हमारे देश में,वैसे पूर्वांचल से लेकर बिहार और गोरखपुर से लेकर राजधानी लखनऊ के ग्रामीण अंचलों बख्शी का तालाब मे भी छठ पूजा बडे ही उत्साह के साथ मनाई जाती है।
छठ पूजा क्यो मनाया जाता है।
छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत महाभारत के समय में हुई थी।
बेटे की लंबी आयु के लिए रखा जा है व्रत
ऐसी मान्या है कि,छठ का व्रत माताए अपने बेटो की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ के लिए रखती है। छठ पूजा पर लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस व्रत का पालन करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही छठी माता प्रसन्न होकर जीवन की सभी बाधाओं को हर लेती हैं।
सबसे कठिन व्रत होता है
छठ का व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है। क्योकि,48 घंटे तकरीबन इस व्रत को रखना पड़ा है। जो की बेहद ही कठिन है। बिना पानी के निर्जला व्रत होता है। जिसे महिलाए बड़े ही श्रद्दा के साथ रखती है। ऐसा नही है कि,छठ का व्रत केवल महिलाए ही रखती है। बल्कि पुरूष भी छठी माता का आर्शिवाद पाने के लिए इस व्रत को रखते है।
कैसे होती है छठ पूजा की शुरूआत
छठ पूजा की शुरू आत नहा खा के दिन से मानी जाती है। जो कि,पूरे तीन दिनो तक चलती है। सबसे पहले नहा खा के दिन पूरे घर की साफ — सफाई के बाद महिलाए बडे ही पवित्रता के साथ चावल दाल और लौकी की सब्जी बनाती है और खाती है। इसके बाद दूसरे दिन यानी की खरना के दिन सुबह सारे घर की साफ — सफाई की जाती है। इसके बाद महिलाए शाम को नहाकर पूजा पाठ करती है। फिर बडै ही पवित्रता के साथ मीट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर गुड़ की खीर और रोटी प्रसाद रूवरूप है। फिर इस प्रसाद को भगवान को भोग लगाकर खुद खाती है। अब आता है तीसरा दिन यानी की छठ पूजा के दिन इस दिन महिलाए निर्जल व्रत रहती है।
शाम के समय घर के पुरूष माथे पर दौरा उठाकर घाट तक ले जाते है। जहां पर महिलाए पूजा करती है।
कैसी करे छठ पूजा
शाम को छठ घाट पर सबसे पहले डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर विधी विधान से पूजा शुरू की जाती है। सबसे पहले घीे के दिए जलाए जाते है। फिर मां को साड़ी भेट की जाती है। सुगंधीत अगर बत्ती के साथ ही फल मेवे और मीठे गुड़ का ठेकुआ चढ़या जाता है। फर वही पर मां के भजन कीर्तन किए जाते है। जब शाम ज्यादा हो जाती है। तेा सब लोग अपने घर चले आते है। अब अगली सुबह दो से तीन बजे तक घाट पर कोसी भरने जाते है। इसके लिए सबसे पहले गन्नो को खड़ा किया जाता है। फिर उसमे कच्चे फल के साथ ही कच्ची सब्जी और पूड़ी को दियो मे रखकर उपर से सारे दियो पर एक एक दिया और जलाया जाता है। उसके बाद फिर से पूजा की जाती है और सुबह होने का इंतजार किया जाता है। जब सूर्य की पहली किरण निकलती है तब कच्चे दूध से सूर्य देवता कोअर्घ्य दिया जाता है। फिर जरूरत मंदो का प्रसाद दिया जाता है और पूजा संपन्न हो जाती है।
अमेरिका मे भी है इसकी धूम
अमेरिका में भी छठ पूजा मनाई जाती है। अमेरिका के कई राज्यों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय छठ पूजा मनाते हैं। इनमें न्यू जर्सी, टेक्सास, कैलिफ़ोर्निया, मैसाचुसेट्स, उत्तरी कैरोलिना, और वाशिंगटन डीसी जैसे राज्य शामिल हैं। अमेरिका में छठ पूजा मनाने के बारे में कुछ खास बातें भी है।जैसे अमेरिका में छठ पूजा मनाने के लिए बिहार और झारखंड के लोगों की एक कमेटी भी बनी हुई है। इस कमेटी की तरफ़ से ही छठ पूजा के लिए स्थल का चयन किया जाता है। अमेरिका में छठ पूजा के लिए स्थानीय लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अमेरिका में छठ पूजा मनाने के लिए, भारतीय-अमेरिकी समुदाय लोकगीत गाते हैं और उपवास रखते हैं।