Lucknow News: भाद्रपद महीने में मनाया जाता कजरी तीज का पर्व,मां पार्वती ने की थी इसकी शुरुआत

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उत्तर प्रदेश/लखनऊ। यूपी में आज सभी कजरी तीज बड़े ही धूम धाम से मना रहे है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज व्रत को हरियाली और हरितालिका तीज की तरह ही किया जाता है। पूजा के दौरान शिव जी और मां पार्वती को विशेष चीजों का भोग लगाना चाहिए। आइए जानते हैं कजरी तीज व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत का संकल्प लिया जाता है। आखिर कजरी तीज का पर्व क्यों मनाया जाता है?

यह है की वजह

देशभर में कजरी तीज व्रत कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार,कजरी तीज व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने किया था। उनके व्रत और तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए थे। जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के रूप में माता पार्वती को स्वीकार किया था। धार्मिक मान्यता है कि,कजरी तीज व्रत को करने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और जल्द विवाह के योग बनते हैं। वहीं,सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन्हीं सभी कारणों से कजरी तीज का व्रत किया जाता है।

तीज पूजन विधि

इस दिन पूरे दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास किया जाता है और सुबह सूर्य उदय से पहले धमोली की जाती है। इसमें सुबह मिठाई,फल आदि का नाश्ता किया जाता है। सुबह नहा धोकर महिलाएं सोलह बार झूला झूलती हैं,उसके बाद ही पानी पीती है। सायंकाल के बाद महिलाएं सोलह श्रृंगार कर तीज माता अथवा नीमड़ी माता की पूजा करती हैं।

कजरी तीज पर गाय की पूजा क्यों करनी चाहिए

मान्यताओं के अनुसार,कजरी तीज के दिन गौ माता की पूजा बेहद शुभ फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को गायों को चारा जरूर खिलाना चाहिए। कहते हैं कि,इस दिन गाय की सेवा करने से लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।