Chhattisgarh News: साल में सिर्फ एक दिन खुलते हैं इस मंदिर के कपाट,माता को चढ़ता है खीरे का प्रसाद,ये है मान्यता

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उत्तर प्रदेश/लखनऊ। रायपुर छत्तीसगढ़ राज्य अपने लोक कला,संस्कृति के अलावा प्राचीन धरोहर और अनोखे मंदिरों की वजह से भी हमेशा चर्चा में रहता है। आज लोकल 18 आपको छत्तीसगढ़ के एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने वाला है, जहां की मान्यता बेहद रोचक है। हम लिंगेश्वरी माता की बात कर रहे हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के आलोर गांव में अनोखा माता का मंदिर है। इस मंदिर का नाम लिंगेश्वरी मंदिर है। इस मंदिर की खासियत है कि,ये सिर्फ साल में एक दिन के लिए ही खुलता है। 18 सितंबर यानी आज सूर्योदय से मंदिर के पट खुल गए हैं। इसके बाद 1 साल तक दर्शन नहीं कर सकेंगे।

माता को चढ़ता है ये प्रसाद

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार,इस मंदिर में लोगों की संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। लोगों का मानना है कि,अब तक लाखों भक्तों की मनोकामना पूरी हो चुकी है। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक,माता लिंगेश्वरी पर चढ़ने वाला प्रसाद काफी अनोखा होता है। माता को खुश करने के लिए भक्त प्रसाद के रूप में खीरा लेकर आते हैं और माता को चढ़ाते हैं। इस प्रसाद को पति-पत्नी के द्वारा खाने पर माता उनकी संतान पाने की मनोकामना पूरी करती हैं। माना जाता है कि,माता से संतान की मनोकामना करने पर माता भक्त को संतान होने का आशीर्वाद देती हैं।

गांव की समितियों द्वारा की जाती है व्यवस्था

माता लिंगेश्वरी पहाड़ के ऊपर विशाल चट्टान के नीचे माता निवास करती हैं। इस मंदिर के पट सूर्योदय के साथ खुलते हैं और सूर्यास्त के बाद मंदिर के पट एक साल के लिए बंद हो जाते हैं। माता लिंगेश्वरी के दर्शन के लिए पूरे देशभर से भक्तों की भीड़ उमड़ती है। आलोर गांव नक्सलियों का इलाका है। भक्त यहां दो-तीन दिन पहले ही पहुंच जाते हैं। इसलिए भक्तों की सुरक्षा के लिए सारी व्यवस्था गांव की समितियों द्वारा की गई है। इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति है। इस कारण इस मंदिर को लिंगेश्वरी नाम से जाना जाता है।