उत्तर प्रदेश/दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है कि, एक वकील वकालत के पेशे में रहते हुए पत्रकारिता जैसे पेशे की दोहरी भूमिका कैसे निभा सकता है? जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक दोहरी भूमिका निभाना प्रतिबंधित है।
गौरतलब है कि, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ ने लखनऊ के पत्रकार और वकील मोहम्मद कामरान से कहा- आप या तो वकालत कर लीजिए या पत्रकारिता। कोर्ट इस तरह की प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दे सकते। जब बार काउंसिल के नियमों में ऐसी दोहरी भूमिकाएं निभाने पर प्रतिबंध है तो आपको हम इसकी इजाजत कैसे दे सकते हैं?
पूरा मामला
गौरतलब है कि, डॉ मोहम्मद कामरान इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं और साथ ही वह स्वतंत्र पत्रकारिता भी करते हैं। उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था, जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते दिनो खारिज कर दिया था। यहां पर मोहम्मद कामरान ने अपनी दायर याचिका में आरोप लगाए थे कि सांसद बृजभूषण ने उन्हें बदनाम करने के लिए सीएम योगी और यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखे था । लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट डॉ मोहम्मद कामरान मानहानि खारिज कर थी। जिसके बाद कामरान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मामले की सुनवाई मे
मामले की सुनवाई मे जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि, किसी भी वकील को डबल रोल निभाने की इजाजत नहीं दे सकते। कोर्ट ने वकील के इस डबल रोल को व्यावसायिक कदाचार बताया है। कोर्ट का साफ कहना है कि,जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक दोहरी भूमिका निभाना प्रतिबंधित है। नियमों के मुताबिक एक वकील कोई दूसरा पेशा नहीं अपना सकता । कामरान की इस हरकत से चिंतित और नाराज जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ ने मोहम्मद कामरान को साफ नसीहत दी कि, आप पत्रकारिता कर लो या वकालत।