उत्तर प्रदेश/नई दिल्ली केंद्र की मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल मंगलवार को संसद मे पेश किया। इसका मतलब है कि,अब देश और केंद्र मे राज्य सरकारों के चुनाव एक साथ होंगे। केंद्रीय कैबिनेट ने बीते गुरुवार को ही वन नेशन वन इलेक्शन विधेयकों को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में आज वन नेशन वन इलेक्शन का संशोधन बिल पेश किया।
मोदी सरकार एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था अपनाने की जरूरत पर जोर देते रही है
पीएम मोदी अपने पहले कार्यकाल से ही एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था को अपनाने की जरूरत पर जोर देते रहे हैं। उनकी सोच है कि नेताओं को चार साल तक शासन व्यवस्था और नीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और एक साल राजनीति करनी देखनी चाहिए। बता दे कि,पीएम मोदी का ये भी कहना है कि, अब जो लोग ईवीएम पर या फिर चुनाव मे हुए धांधली और घोटाले पर सवाला खड़े करते है। उनको इस बिल के पास होने पर काई आपत्ति नही होगी।
देश की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर होगा?
लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्शन बिल के पक्ष में 269 वोट तो विरोध में 198 वोट पड़े हैं। वोटिंग के बाद विधेयक को जेपीसी को भेज दिया गया। एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने के बाद देश में क्या-क्या बदलेगा इससे देश को लाभ हो गया। इससे न सिर्फ सरकारी नीतियों को तेजी से प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा, बल्कि व्यवस्था से जुड़े सुधारों को आगे बढ़ाने में भी सहूलियत होगी। एक देश-एक चुनाव मौजूदा राजनीति और देश को किस तरह से प्रभावित करेगा, भारत में एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं।
इसके साथ ही स्थानीय निकायों यानी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी होंगे
विदेशो मे पहले से ही लागू ये व्यवस्था
जहां तब विदेशो की बात की जाये तो इस सूची में अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, कनाडा आदि शामिल हैं। अमेरिका में हर चार वर्ष में एक निश्चित तारीख को ही राष्ट्रपति, कांग्रेस और सीनेट के चुनाव कराए जाते हैं। इसके लिए संघीय कानून का सहारा लिया जाता है।