उत्तर प्रदेश/दिल्ली ,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज पूरी दुनिया में अपने छाई हुई है। हर कोई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म के जीवन और संघर्ष की कहानी के बारे मे जानना चाहता है। उनके जीवन से जुड़ी हर कहानी को समझना चाहता है। एक आम आदिवासी समाज की महिला से राष्ट्रपति बनने का सफर कैसा रहा?
द्रौपदी मुर्मू के बारे में
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से तालुक रखती हैं। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू था। जो की एक किसान थे। द्रौपदी मुर्मू के दो भी भाई हैं। द्रौपदी मुर्मू का बचपन बेहद गरीबी में बीता था। लेकिन उन्होने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपनी पढाई जारी रखी और स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के भी उन्होने खुद को एक लिए शिक्षक बना लिया।
तीन साल के अंदर बच्ची की मौत
सन 1980 में द्रौपदी मुर्मू की लव मैरिज श्याम चरण नाम के एक व्यक्ति से हुई। दोनो की शादी शुदा जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी। अगले साल उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन बेटी तीन साल की ही हुई थी कि 1984 में उसकी मौत हो गई। द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी में ये बड़ा झटका था। लेकिन इस झटके से वो उबरीं जिदंगी पटरी पर लौटने लगी। क्योकि उन्होने दो बेटों और एक बेटी को भी जन्म दिया।
चार साल के अंदर हुई दो बेटो की मौत
द्रौपदी मुर्मू नौकरी करते-करते 1997 में राजनीति में आ गईं। पार्षद का चुनाव लड़ा जीतीं विधायक बनीं और फिर मंत्री जिदंगी के सबसे बुरे दौर को देखना बाकी था। 27 अक्टूबर 2009 को भुवनेश्वर के पत्रपदा इलाके में मुर्मू भाई के घर पर उनके 25 साल के जवान बेटे की लाश बिस्तर पर मिली। जो की रहस्यमयी मौत थी। बेटे की मौत के सदमे से द्रौपदी मुर्मू अभी बाहर निकल ही नही पाई भी कि, उन्हें दूसरी झकझोर देने वाली खबर मिली। ये घटना 2013 की है। जब द्रौपदी के दूसरे बेटे की मौत एक सड़क दुर्घटना में हो गई। द्रौपदी के दो जवान बेटों की मौत चार साल के अंदर हो चुकी थी। वह पूरी तरह से टूट चुकीं थीं।
फिर उठा पति का सिर से साया
दो बेटों की मौत के दर्द से वो अभी उभर ही नहीं पाई थी कि, साल 2014 में द्रौपदी के पति श्यामाचरण मुर्मू की भी मौत हो गई। बताया जाता है कि, श्यामाचरण मुर्मू कि, मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी। श्यामाचरण बैंक में काम करते थे। किसी आम इंसान की जिदंगी में एक के बाद एक इतने झटके मिले होते तो वो पूरी तरह टूट गया होता। लेकिन, द्रौपदी मुर्मू ने अपना हौसला और जज्बा नही खोने दिया। वो निरंतर आगे बढ़ती रही। अपने राजनैतिक सफर कि,और उन्होने एक और कदम बढाया और वो झारखण्ड की राज्यपाल बना दी गईं। जहां वो आज भी अपने कामों की वजह से जानी जाती हैं। अब द्रौपदी के परिवार में केवल बेटी इतिश्री मुर्मू हैं। इतिश्री बैंक में नौकरी करती हैं।