उत्तर प्रदेश/लखनऊ। कई देशों में मंकीपॉक्स के मरीज मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में भी संक्रमण की आशंका जताई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। विभाग ने सभी जिला अधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सभी एयरपोर्ट पर जांच के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव रंजन कुमार ने निर्देश जारी कर कहा कि, प्रदेश में प्रवेश वाले सभी जिलों में एक चिकित्सा इकाई का चिन्हीकरण रेफरल इकाई के रूप में किया जाए। जिससे जरूरत पड़ने पर संबंधित अस्पताल में मरीज भर्ती किया जा सके जिलेवार प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में नेपाल बॉर्डर वाले जिलों में विशेष निगरानी की जाएगी। मंकी पॉक्स के मरीज के संपर्क में आने वालों की भी निगरानी हो रही।
कैसे फैल रहा है मंकीपॉक्स?
अगर कोई व्यक्ति मंकीपॉक्स से इन्फेक्टेड है। तो उसके घावों को छूने, घावों से निकलने वाले द्रव के संपर्क में आने, मरीज के कपड़े, बिस्तर, बर्तन और अन्य सामान के संपर्क में आने से ये संक्रमण दूसरों में फैल सकता है। किसी गर्भवती मां के जरिए ये वायरस उसके बच्चे तक भी फैल सकता है।
मंकीपॉक्स का क्या इलाज है?
वर्तमान में, मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। हालाँकि, मंकीपॉक्स और चेचक वायरस के बीच समानता को देखा गया है। चेचक से बचाव के लिए विकसित एंटीवायरल दवाओं और इम्यून ग्लोब्युलिन जैसी चिकित्सा का उपयोग मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। खासकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजो के लिए।