Lucknow News: पशुओं के लिए बारिश बनी आफत,गलघोटू रोग और पैर पकने का खतरा बढ़ा,जानें बचाव

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उत्तर प्रदेश/लखनऊ। मौसम के कारण इंसानों के साथ-साथ पशु भी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इस समय पशु चिकित्सालयों में गंभीर रोगों से ग्रसित पशुओं की संख्या बढ़ती नजर आ रही है। बीमारियों में सबसे ज्यादा निमोनिया और पैर पकने की समस्या देखी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि,ये दोनों बीमारियां गंभीर परिणाम दे सकती हैं। समय पर इलाज न मिलने पर पशुओं की जान भी जा सकती है।

खरगोन के पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ डॉ.बीएल पटेल ने बताया कि,इन दिनों बड़े पशुओं में गलघोटू रोग और बकरियों में पैर पकने की समस्या देखने को मिल रही है। बड़े पशुओं जैसे गाय और भैंस में निमोनिया के केस बढ़ गए हैं। निमोनिया से ग्रसित पशु का गला चोक हो जाता है। जिसे गलघोंटू रोग कहा जाता है।

गलघोटू रोग के लक्षण

समय पर इलाज न मिलने पर गलघोटू रोग मौत का कारण बन सकता है। शुरुआती लक्षणों में पशु को सर्दी,जुकाम और तार की तरह नाक बहने की समस्या होती है। सांस लेने में तकलीफ होती है और पशु झटके से सांस लेता है। स्थिति बिगड़ने पर पशु मुंह से सांस लेने लगता है।

गलघोटू से बचाव के उपाय

डॉ.पटेल के अनुसार,बरसात के दौरान पशुओं को बारिश के पानी से दूर रखना चाहिए और ठंडी हवा से बचाना चाहिए। इसके अलावा,गलघोटू के टीकाकरण के लिए शासकीय पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। जिन पशुओं को टीका लग जाता है,उन्हें यह बीमारी नहीं होती है।

छोटे पशुओं में पैर पकने की समस्या

छोटे पशु जैसे बकरियों में पैर पकने की समस्या देखी जा रही है। इसमें पैरों में सूजन आ जाती है और खुर पक जाते हैं। यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होता है,जिसमें खुर के ऊपरी हिस्से में पस बनने लगता है। हालांकि,मृत्यु नहीं होती,लेकिन पशु को चलने में कठिनाई होती है। खाना-पीना कम हो जाता है और प्रोडक्टिविटी घट जाती है।

बचाव के उपाय

इस बीमारी से बचाव के लिए पशु को तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय में लाकर इलाज कराएं। कम से कम तीन दिन तक दर्द,सूजन की दवा और एंटीबायोटिक देना जरूरी होता है। पस और छालों के लिए पीती लोशन एक प्रतिशत से सुबह-शाम धोना चाहिए।

घर बैठे इलाज की सुविधा

मध्य प्रदेश सरकार ने दूरस्थ इलाकों में पशुओं के इलाज के लिए घर पहुंच सेवा शुरू की है। पशु मालिक 1962 टोल फ्री नंबर पर संपर्क करके सुविधा का लाभ ले सकते हैं। इस एंबुलेंस में चिकित्सक और दो कर्मचारी मौजूद रहते हैं। बड़े पशुओं के लिए प्रति पशु 150 रुपये,छोटे पशुओं जैसे कुत्ते-बिल्ली के लिए 300 रुपये और 10 बकरियों के लिए मात्र 150 रुपये का शुल्क होता है।