Funeral Rites News : आखिर क्यो रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी धर्म के अनुसार नही हुआ?

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उत्तर प्रदेश/मुंबई रतन टाटा का अंतिम संस्कार दाह संस्कार के माध्यम सें किया गया। जो कि,पारसी परम्परागत प्रथाओ के विपरीत है। टाटा छोटे पारसी समुदाय से आते है। जिसमे भारत के कुछ सबसे बड़े कारोबारीयो के नाम आते है। पारसी लोग ईरान के प्राचीन इस्लाम पूर्व धर्म जोरास्ट्रियन धर्म का पालन करते है। लेकिन रतन टाटा का अंतिम संस्कार दाह संस्कार के माध्यम सें किया जाने पर कई लोगो ने सवाल खड़ें किये।

आखिर कैसे होता है पारसी धर्म मे अंतिम संस्कार

पारसी धर्म मे अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया को दखमा या टावर आफ साइलेंस बोलते है। इस प्रकिया मे इंसान के मरने के बाद उसके शव को खुले आसमान के नीचे रखते है। पारसी धर्म मे मृत शरीर को ऐसी ही जगह रखा जाता है। जहां पर उपर खुला आसमान हो और बहुत सारे गिद्ध हो। ये गिद्ध शरीर के मांस को खा लेते है। इसके बाद ही किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार पूरा होता हैं।

क्यो नही हो पारसी धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार

बताया जा रहा है कि, रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी धर्म के अनुूसार इसलिए नही हो पाया क्यो कि,वर्तमान मे गिद्धो की संख्या मे काफी कमी आ गई है। जिस कारण इस प्रक्रिया के द्वारा रतन टाटा का अंतिम संस्कार इस तरीके से नही हो पाया । लेकिन पारसी धर्म मे इस तरीके से अंतिम संस्कार अब होता भी नही है। इसके अलावा पारसी धर्म मे तीन अन्य अंतिम संस्कारो को जोड़ा गया। जिसमे से ये एक दाह संस्कार है। यानी की रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी धर्म के अनुसार ही हुआ है