Dhanteras News : धनतेरस की पूजा का आखिर क्या है महत्व ?

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उत्तर /प्रदेश हिंदू धर्म में धनतेरस का त्योहार धन, आरोग्यता, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस से पांच दिनों तक चलने वाला दीपावली का उत्सव शुरू हो जाता है। धनतेरस के पर्व को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

धनतेरस मुख्य रूप से समुद्र मंथन या सागर मंथन से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि कलश लेकर समुद्र से अवतरित हुए थे। इसी वजह से उनके प्रकटोत्सव के रूप में धनतेरस का पर्व देशभर में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि को औषधि और चिकित्सा का देवता माना जाता है। इस पर्व को मनाने की दूसरी कथा जगत के पालनहार भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी हुई है।

धनतेरस के दिन सोना-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन खरीदने की प्रथा है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता है। धनतेरस के दिन सोने, चांदी और पीतल की वस्तुओं और झाड़ू खरीदना शुभ होता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा करने का विशेष महत्व होता है धनतेरस के दिन खाली बर्तन नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर में धन और समृद्धि नहीं आती और देवी-देवताओं की कृपा नहीं मिलती । अगर आप चाहे तो मिठाई साथ मे ले सकते है।

धनतेरस के शुभ अवसर पर पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। इसे पहनने से भगवान धन्वंतरि प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती हैं। धनतेरस के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है,धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन धनवंतरि जी अपने हाथों में सोने का कलश लेकर प्रकट हुए थे, ये त्यौहार इन्हीं को समर्पित है। इनका प्रिय रंग पीला और सुनहरा है इसलिए धनतेरस के दिन पीले अथवा सुनहरे रंग का वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ माना गया है।