उत्तर प्रदेश /लखनऊ टाइटैनिक के डूबने के इस हादसे के वक्त टाइटैनिक 41 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से इंग्लैंड के साउथम्पैटन से अमेरिका के न्यूयार्क की ओर बढ़ रहा था लेकिन उस दिन बहुत बडा हदासा हो जाने के कारण पूरा जहाज महज तीन घंटे के अंदर 14 और 15 अप्रैल, 1912 की दरमियानी रात में टाइटैनिक अटलांटिक महासागर में समा गया और सब कुछ नष्ट हो गया ।
टाइटैनिक में कितने लोग डूबे थे?
हालाँकि, यह आम तौर पर माना जाता है कि जहाज मे लगभग 2,200 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से, जहाज के डूबने पर लगभग 1,500 लोग मारे गए। जहाज डूबने की जाँच करने वाली अमेरिकी समिति के अनुसार, 1,517 लोगों की जान चली गई, और इसके ब्रिटिश समकक्ष ने निर्धारित किया कि 1,503 लोग मारे गए। जीवित बचे यात्रियों की संख्खा 492 थी और जीवित बचे चालक दल के सदस्यों की संख्या 214 थी ।
टाइटैनिक जहाज की असली कहानी क्या है?
टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था। वह साउथम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी प्रथम यात्रा पर, 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ। चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को वह एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया था जिसमें 1,517 लोगों की मृत्यु हुई थी। इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है और इस कहानी के दर्दनाक मंजर को सोच कर आज भी लोगो की आंख मे पानी भर आता है।
टाइटैनिक की कीमत क्या थी ?
टाइटैनिक के लॉन्च होने तक ओलंपिक दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था। लेकिन बाद में टाइटैनिक, जो ओलंपिक से लगभग तीन इंच बड़ा और बहुत भारी था, दुनिया का सबसे बड़ा जहाज बन गया था। टाइटैनिक, जिसे बनाने में अनुमानित 7.5 मिलियन डॉलर यानी 62,41,67,250 रुपए की लागत आई थी। ये दुनिया का सबसे विशाल जहाज माना गया था।