Varansi News: वाराणसी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा का मनभावन रुद्राक्ष श्रृंगार

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उत्तर प्रदेश/वाराणसी। सावन के इस चौ​थे सोमवार को बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी की मंगला आरती की गई। जिसमें आरती के दौरान मंदिर के पुजारी बाबा ने रुद्राभिषेक करते हुए शिवलिंग को सजाया है। सुबह नौ बजे से लेकर अब तक 680 भक्तों ने शिव जी के दर्शन किए। पहले श्रावण माह में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले तीन सोमवार को बाबा विश्वनाथ का अलग अलग ढंग से शृंगार हो चुका है।

वाराणसी सावन के चौथे सोमवार को बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी की मंगला आरती के दौरान बाबा के अद्भुत श्रृंगार के दिव्य और अलौकिक दर्शन हुए है। वही सुबह से ही अंचलों के शिवालयों में लोगों की आस्‍था परवान चढ़ी नजर आ रही है। साथ ही तटवर्ती लोगों ने गंगा स्‍नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। सावन की परंपरा के अनुसार श्रृंगार भोग आरती से पहले परंपरानुसार बाबा की झांकी भी सजाई गई। वाराणसी बाबा को मनभावन सावन माह के चौथे सोमवार को उनके दरबार में श्रद्धा-आस्था की फुहार कुछ अधिक ही भक्तों को भिगोती रही है। वही सुबह मंंगला आरती के बाद मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खुले नजर आए है। जिसमें श्रद्धालुओं की लंबी कतारे आगे बढ़ चली है। फूल-पत्तियों से सजे परिसर ने मन मोह लिया है। वही गर्भगृह के बाहर से ही बाबा का दर्शन किया गया है। श्रद्धालुओं ने अपने मन के साथ मनोकामनाओं का पिटारा भी प्रभु चरणों में रख दिया। भीड़ से बचाने के लिए एक बार में पांच लोगों को ही शिव जी के दर्शन करवाए गए। सुबह नौ बजे से लेकर अब तक 680 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए है। दिव्यांग व बुजुगजन के लिए वाहन की व्यवस्था की गई तो उन्हें सीधे प्रवेश दिया गया। इसमें महिलाओं की भागीदारी तो केशरिया धारी बोल बम भी उमड़े। दिन भर हर हर महादेव के नारे से परिसर गुंज उठा है। सावन के दौरान कई लोग विशेष व्रत और उपवास करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए होता हैं। सोमवार को व्रत रखने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसे ‘सावन सोमवार’ के रूप में मनाया जाता है।

सावन का महत्व,सावन माह की हरियाली

यह माह भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन की धार्मिक मान्यताएं और परम्पराएं इस माह को विशेष बनाती हैं। सावन माह हिन्दू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था। जिसके बाद शिव जी नीलकंठ कहलाए थे। उनकी तपस्या और त्याग को मानते हुए भक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। सावन में पूरे वातावरण में हरियाली छा जाती है। जिससे प्राकृतिक सुंदरता बढ़ जाती है। इस समय हरियाली और प्राकृतिक तत्वों की पूजा करना धार्मिक मान्यता प्राप्त है। इसे ‘हरियाली तीज’ के रूप में भी मनाया जाता है। जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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