Protest & Strike :हड़ताल और प्रदर्शन से पूरे देश में मेडिकल सेवाएं बाधित,डॉक्टरों के लिए केन्द्रीय कानून बनाने की मांग

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उत्तर प्रदेश/लखनऊ। डॉक्टरों की पूरे 24 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर सबसे अधिक उनके लिए कष्टकारी रहा जिनको परिजन,किसी न किसी बीमारी अथवा मेडिकल समस्या को लेकर इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुचे थे। यूपी की राजधानी लखनऊ के मेडि​कल कॉलेज,राम मनेाहर लोहिया सस्थान और हॉस्पिटल, सिविल हॉस्पिटल के साथ साथ पीजीआई में केवल यूपी ही नही बल्कि कई राज्यों बिहार आदि से आए मरीजों के तीमारदारों का इंतजार ओर लम्बा हो गया। गनीमत नही कि ओपीडी सेवाएं चलती रही।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित आर जी मेडिकल कॉलेज लेडी डॉक्टर की रेप के बाद हुई हत्या को लेकर देश भर का आक्रोश शनिवार को हडताल के रुप में सड़कों पर आ गया। इस मामले में लेडी डॉक्टर के हत्यारों पर कार्यवाही के साथ साथ डॉक्टरों की सुरक्षा के साथ साथ इंसाफ की मांग कर रहे है।सीबीआई जहां इस मामले की पहले ही जांच कर रही है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रेप के बाद हत्या के विरोध की गयी तोड़फोड़ के विरोध में देश व्यापी हड़ताल और प्रदर्शन का ऐलान किया। शनिवार की सुबह 6 बजे से लेकर रविवार सुबह 6 बजे तक जारी इस हडताल और प्रदर्शन से पूरे देश में मेडिकल सेवाएं अस्त व्यस्त रही। ओपीडी मरीजों को दवाओं के लिए जहां यहां से वहां भटकना पड़ा और सरकारी से लेकर प्राइवेट हॉस्प्टिल का चक्कर लगाना पड़ा। सरकारी और प्राइवेट हॉस्प्टिलों ने मिलकर प्रदर्शन किया तथा सड़कों पर मार्च निकाला। वी वान्ट जस्टिस की नारेबाजी करके सुरक्षा कानून बनाने के साथ साथ उसे लागू करने की मांग उठी। एक दिवसीय हड़ताल का असर देश की राजधानी दिल्ली से लेकर कई राज्यों में देखा गया। दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन के साथ ही एम्स भी इस हडताल में शामिल रहा।

आईएमए की एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ.विनय अग्रवाल ने कहा कि,जिस महिला डॉक्टर की हत्या हुई,उनको न्याय मिले। डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाए और हॉस्पिटल को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।