यूपी\लखनऊ एचआईवी महामारी एक ऐसी बीमारी है। जिसमे इंसान के शरीर के अंदर बीमारियों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। एचआईवी को दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियो में पहले पायदान पर रखा जाता है। आज भारत में एचआईवी से पीडित मरीजो की संख्या 2.3 मिलियन यानी की 20.3 लाख के आस.पास है। लेकिन अब लोगो के मन में ये सवाल खड़ा हो रहा है कि, क्या मच्छरो के काटने से भी एचआईवी फैलता है ?यह चिंता स्वाभाविक है क्योंकि, मलेरिया और जीका बुखार जैसी कई बीमारिया मच्छरो के काटने से आसानी से फैलती हैं। हालाँकि, एचआईवी के मामले में ऐसा नहीं है। महामारी विज्ञान संबंधी अध्ययनों ने मच्छरों या किसी अन्य कीट के माध्यम से एचआईवी संचरण का कोई सबूत नहीं दिखाया है, यहाँ तक कि कई देशों में भी जहाँ एचआईवी और अनियंत्रित मच्छर संक्रमण की दर बहुत अधिक है। एक ऐसे प्रकोपों की कमी इस निष्कर्ष का समर्थन करती है कि, एचआईवी मच्छरो द्वारा प्रसारित नहीं किया जा सकता है।
आखिर एचआईवी मच्छरों से क्यों नहीं फैलता ?
इंसानों में मौजूद T सेल्स के साथ मिलकर एचआईवी वायरस तेजी से बढ़ने लगता है। मच्छरों के भीतर T सेल्स नहीं होते। इसलिए वायरस को इंसानों के शरीर में बढ़ना का मौका नहीं मिल पाता है।। मच्छर के पेट में खून के साथ ही एचआईवी वायरस भी डायजेस्ट हो जाते हैं। इस तरह एचआईवी वायरस पूरी तरह खत्म हो जाते हैं।
गलती से मच्छर को निगल लेने पर भी किसी व्यक्ति को एचआईवी इन्फेक्शन नहीं हो सकता क्योंकि मच्छर के भीतर इतनी मात्रा में वायरस नहीं हो सकते, जिससे किसी को इन्फेक्शन हो सके।
मच्छर जनित रोगों के प्रकार
हालांकि, मच्छर को अनेक प्रकार के संक्रामक रोगों को फैलाने के लिए जाने जाते हैं, जिनमें विषाणु और परजीवी भी शामिल हैं ऐसा अनुमान है कि मच्छर हर साल 700 मिलियन से अधिक लोगों मच्छर के काटने से बीमार हो रहे है। जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है। ये रोग प्रकोप सबसे अधिक अफ्रीका, एशिया, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखे जाते हैं, जहाँ रोग की व्यापकता, समशीतोष्ण जलवायु और मच्छर नियंत्रण की कमी मच्छर जनित रोगों के प्रसार के लिए अधिक अवसर प्रदान करती है।